जमशेदपुर में दौड़ रही फर्जी एंबुलेंस, जानिए क्या होनी चाहिए सुविधाएं
जमशेदपुर में खटारा एंबुलेंस के साथ-साथ फर्जी एंबुलेंस भी दौड़ रही हैं। ये मरीजों की जान बचाने के बजाय जान ले रही हैं।
जमशेदपुर [अमित तिवारी] । जमशेदपुर में खटारा एंबुलेंस के साथ-साथ फर्जी एंबुलेंस भी दौड़ रही हैं। ये मरीजों की जान बचाने के बजाय जान ले रही हैं। इनकी संख्या लगभग 90 से 95 है। ये मानकों के खिलाफ चल रही हैं। उनमें मरीजों की जान बचाने के लिए न तो कोई जीवन रक्षक उपकरण लगा होता है और न ही सुरक्षा के कोई इंतजाम होते हैं।
एक एंबुलेंस चालक ने खुलासा किया कि करीब 70 फीसद एंबुलेंस बिना रजिस्ट्रेशन के ही चल रही हैं। इसमें वे लोग शामिल होते है जो इसे व्यवसाय के रूप में इस्तेमाल कर मरीजों से मनमाना किराया वसूलते हैं। इसकी जांच न तो कभी प्रशासन की तरफ से की गई और न ही स्वास्थ्य विभाग की ओर से, जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।
दैनिक जागरण की टीम ने कुछ निजी व सरकारी एंबुलेंस की पड़ताल की तो व्यवस्था की पोल खुल गई। एक निजी एंबुलेंस से धर्मेद्र यादव नामक मरीज को अस्पताल ले जाया जा रहा था, लेकिन उसमें जीवन रक्षक उपकरण के नाम पर कुछ भी नहीं था। सिर्फ एक स्ट्रेचर व चालक मौजूद था। जबकि एक एंबुलेंस में चिकित्सीय टीम के साथ-साथ सारे उपकरण मौजूद होने चाहिए।
शॉट-सर्किट से आग लगी तो भागवान ही मालिक
आग से बचाव के मामूली उपकरण तक एंबुलेंस में नहीं मिलेंगे। एक सरकारी एंबुलेंस में देखा गया कि आग से बचाव के लिए लगाया गया उपकरण कबड़ा की तरह डिब्बे में कैद था। उनकी एक्सपायरी डेट तक साफ नहीं दिख रही थीं। धूल की परत उपकरण पर जमी थी। ऐसा प्रतीक होता है कि मरीज की जान बचाने वाली एंबुलेंस कहीं मौत का सबब न बन जाए?
सरकारी दर से पांच गुणा अधिक किराया
सरकारी एंबुलेंस की दर से निजी एंबुलेंस की दर चार से पांच गुणा अधिक है। सरकारी एंबुलेंस से यदि कोई मरीज रांची रिम्स जाता है तो उसके सिर्फ 2100 रुपये लगते हैं जबकि निजी एंबुलेंस से जाने पर उसका किराया चार से पांच हजार रुपये देना होगा है।
एंबुलेंस में यह सुविधाएं जरूरी
-एंबुलेंस में एक चालक, एक इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन व एक नर्स 24 घंटे तैनात रहना चाहिए, मरीजों की देखभाल कर सकें।
- मरीजों को चढ़ाने और उतारने के लिए तीन तरह के स्ट्रेचर व ट्रॉली होना जरूरी है।
- एंबुलेंस के अंदर पंखा, ऑक्सीजन, सैक्शन मशीन, स्लाइन, प्रसव की सुविधा व जरूरी मेडिसीन उपलब्ध होना चाहिए।
- हार्ट अटैक के मरीज के लिए एंबुलेंस में काडिए डियुकिबेलेटर मशीन होनी चाहिए। ताकि मरीज को ट्रीट किया जा सके।
- एंबुलेंस रजिस्टर्ड होनी चाहिए।
सरकारी व निजी एंबुलेंस की दर
स्थान सरकारी दर (रु) निजी दर (रु)
एमजीएम से रांची रिम्स 2100 4000-5000
एमजीएम से टीएमएच 70 300-500
एमजीएम से टेल्को 140 500-700
एमजीएम से बारीडीह मर्सी 70 300-500
एमजीएम से टिनप्लेट 70 300-500
एमजीएम से ईएसआइ 154 500-750
एमजीएम से मेडिका 98 400-530
एमजीएम से ब्रह्मानंद 140 500-700