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पोलियो के बाद अब फाइलेरिया मुक्त होगा झारखंड

स्वास्थ्य विभाग ने झारखंड के सात जिलों में ट्रांसमिशन एसेस्टमेंट सर्वे कराने का निर्णय लिया है। इनमें रांची, गुमला, बोकारो, पूर्वी सिंहभूम, चतरा, धनबाद सहित अन्य जिले शामिल हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 16 Jan 2017 06:25 AM (IST)Updated: Mon, 16 Jan 2017 06:40 AM (IST)
पोलियो के बाद अब फाइलेरिया मुक्त होगा झारखंड
पोलियो के बाद अब फाइलेरिया मुक्त होगा झारखंड

अमित तिवारी, जमशेदपुर। देश में पोलियो के बाद अब झारखंड फाइलेरिया मुक्त होगा। प्रदेश के सात जिलों में बीते कई सालों से फाइलेरिया के मरीज सामने नहीं आने पर स्वास्थ्य विभाग ने इसे खत्म होने की संभावना जतायी है। इसकी पुष्टि के लिए स्वास्थ्य विभाग ने झारखंड के सात जिलों में ट्रांसमिशन एसेस्टमेंट सर्वे कराने का निर्णय लिया है। इनमें रांची, गुमला, बोकारो, पूर्वी सिंहभूम, चतरा, धनबाद सहित अन्य जिले शामिल हैं।
पूर्वी सिंहभूम में इसकी शुरुआत 16 जनवरी यानी सोमवार से ही होनी थी लेकिन राज्य मुख्यालय से अबतक कोई दिशा-निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है। इस कारण सर्वे की तिथि आगे बढऩे की उम्मीद है।
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जमशेदपुर व रांची को दो यूनिट में बांटा गया
जमशेदपुर (पूर्वी सिंहभूम) व रांची जिले की 20 लाख से अधिक जनसंख्या होने के कारण दो यूनिट में बांटा गया है। जमशेदपुर नॉर्थ व साउथ। जिन सात जिलों में सर्वे शुरू होना है, वहां पूर्व के सर्वे में माइक्रो फाइलेरिया रेट एक (प्रति दस हजार में एक) से कम पाया गया है। पूर्वी सिंहभूम में वर्ष 2013 में माइक्रो फाइलेरिया रेट एक आया था। इसके बाद से इक्का-दुक्का मरीज ही आए।
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जिले के 115 स्कूलों में होगा सर्वे

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जिले में फाइलेरिया पीडि़तों की स्थिति का पता लगाने के लिए कुल 115 स्कूलों में सर्वे किया जाएगा। इन स्कूलों को दो ग्रुप में बांटा गया है। पहले में जमशेदपुर, जुगसलाई, पटमदा व बोड़ाम के 31 स्कूल हैं। वहीं दूसरे में पोटका, मुसाबनी, घाटशिला, डुमरिया, धालभूमगढ़, चाकुलिया, गुड़ाबांधा व बहरागोड़ा के 84 स्कूल हैं। यह सर्वे 16 से 22 जनवरी तक होना था लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) द्वारा अबतक किट उपलब्ध नहीं कराया जा सका है।
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फाइलेरिया रोग क्या है?

फाइलेरिया रोग में अक्सर हाथ या पैर बहुत ही ज्यादा सूज जाते हैं। इसलिए इस रोग को हाथी पांव भी कहते हैं लेकिन फाइलेरिया रोग से पीडि़त हर व्यक्ति के हाथ या पैर नहीं सूजते। यह कृमिवाली बीमारी है। ये कृमि लसिका तंत्र की नलियों में होते हैं और उन्हें बंद कर देते हैं। क्यूलैक्स मच्छर के काटने से बहुत छोटे आकार के कृमि शरीर में प्रवेश करते हैं। मलेरिया के कीड़ों की तरह ये कीड़े मनुष्यों और मच्छरों दोनों में छूत पैदा करते हैं पर इससे केवल मनुष्यों को ही परेशानी भुगतनी पड़ती है।
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यह बड़ी उपलब्धि होगी। इस सर्वे में अगर पूर्व के सर्वे की तरह ही परिणाम आया तो इन जिलों को फाइलेरिया मुक्त माना जाएगा- डॉ. साहिर पॉल, जिला फाइलेरिया पदाधिकारी।

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