तकनीकी शिक्षा ने कला को जमशेदपुर से किया बाहर
सुधीर पांडेय, जमशेदपुर : औद्योगिक नगरी जमशेदपुर में आर्ट्स (कला) विषय के प्रति छात्रों का रुझान लगा
सुधीर पांडेय, जमशेदपुर : औद्योगिक नगरी जमशेदपुर में आर्ट्स (कला) विषय के प्रति छात्रों का रुझान लगातार कम होता जा रहा है। नतीजतन एक-एक कर शहर के अधिकतर अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में आर्ट्स संकाय को खत्म कर दिया गया है। दसवीं के बाद बच्चों में सबसे ज्यादा साइंस का क्रेज है। इसके बाद कॉमर्स का नंबर आता है। आर्ट्स से न तो बच्चा आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहता है और न ही उसके अभिभावक।
-------------------
हर साल छह हजार से अधिक बच्चे लेते 11वीं में प्रवेश
जमशेदपुर में अंग्रेजी माध्यम के 50 से ज्यादा स्कूल हैं। इनमें सीबीएसई बोर्ड के करीब 15 व आइसीएसई के 35 स्कूल शामिल हैं। इन स्कूलों से प्रतिवर्ष छह हजार से ज्यादा बच्चे मैट्रिक बोर्ड की परीक्षा उत्तीर्ण कर 11वीं में प्रवेश लेते हैं। लोयोला, सेक्रेड हार्ट, टैगोर एकेडमी, जेएच तारापोर, केन्द्रीय विद्यालय समेत 3-4 और स्कूलों को छोड़ दें तो शेष बचे किसी भी स्कूल में वर्तमान में कला संकाय नहीं है।
-------------
जमशेदपुर एक औद्योगिक क्षेत्र है। इस वजह यहां के लोग साइंस को ज्यादा महत्व देते हैं। अभिभावक व उनके बच्चे आर्ट्स विषय को उपेक्षा की नजर से देखते हैं। लोगों को लगता है कि कला विषय से पढ़ाई करने पर कोई भविष्य नहीं है। इसी सोच के कारण दसवीं के बाद बच्चे आर्ट्स विषय में दाखिला नहीं ले रहे हैं। राजेन्द्र विद्यालय में पहले आर्ट्स सेक्शन था मगर बच्चे नहीं मिलने के कारण इसे बंद करना पड़ा।
-पीबी सहाय, प्रिंसिपल, राजेन्द्र विद्यालय।
---------------------
जमशेदपुर में आर्ट्स की कोई मांग नहीं है। यहां टेक्निकल एजुकेशन का क्रेज है। इसके पीछे एक वजह यह भी है कि आर्ट्स से पढ़ाई कर आगे बढ़ने में समय व पैसा दोनों ज्यादा लगता है। वहीं साइंस से 12वीं पास करने के बाद इंजीनिय¨रग में दाखिला लेकर चार साल की पढ़ाई के बाद हाथ में अच्छी नौकरी आ जाती है। वर्ष 2000 में किये गये सर्वे में संत मेरीज स्कूल में मात्र 2 बच्चों ने आर्ट्स में नामांकन की इच्छा जतायी थी। बाद में उन्होंने भी एक सर्वे कराया। उसमें उन्हें कला के लिए एक भी छात्र नहीं मिला। इस वजह से आर्ट्स सेक्शन को बंद कर दिया गया।
--फादर डेविड विंसेट, प्रिंसिपल, संत मैरीज इंग्लिश स्कूल, जमशेदपुर।