बैडमिंटन के भी गुर सीख रहे बच्चे
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : जेआरडी स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स घुसने के ठीक पहले बांयी ओर स्थित मोहन आहूजा
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : जेआरडी स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स घुसने के ठीक पहले बांयी ओर स्थित मोहन आहूजा स्टेडियम के हॉल में बच्चे बैडमिंटन खेलते दिखाई पड़ेंगे। इस भीषण गर्मी में भी बच्चे बैडमिंटन खेलते-खेलते अपने शरीर से पसीना बहा रहे हैं। कोई इसे सिर्फ समर कैंप के लिए खेल रहा है तो कोई भविष्य के लिए। बैडमिंटन के लिए प्रशिक्षण के दौरान एक साथ बच्चे तीन कोर्ट में अभ्यास करते हैं। बच्चों के प्रशिक्षण के लिए मुख्य रूप से कोच के रूप में विवेक शर्मा, गौरव व जागृति पांडे नियुक्त किये गये हैं। यहां 121 बच्चे समर कैंप में बैडमिंटन खेल रहे हैं। कोच विवेक शर्मा ने बताया कि इसके लिए बच्चों से 500 रुपये लिये गये हैं। सुबह 6-7, 7-8, 8-9 तथा शाम को 4.30-5.15 तथा 5.15 से 6.15 तक बच्चे बैडमिंटन सीखते हैं। इस दौरान बेंच पर व स्टेडियम में उनके अभिभावक भी बैठे रहते हैं। कई बच्चे ऐसे है जिन्हें बैडमिंटन सीखने की ललक है, लेकिन कई ऐसे भी है जो सिर्फ टाइम पास कर रहे हैं। कई बच्चे तो ऐसे हैं कि वे उधेड़बुन में हैं। उनका कहना है कि मम्मी-पापा जो बनायेंगे हम वहीं बनेंगे। यहां के बच्चे शटलर साइना नेहवाल को अपना आदर्श मान रहे हैं।
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क्या कहते हैं बच्चे
1.मैं रोज बैडमिंटन खेलती हूं। समर कैंप में यहां के प्रशिक्षक इस खेल की बारीकियों को काफी अच्छी तरीके से समझा रहे हैं। कैंप के दौरान सारे एक साथ खेलते हैं तो खेलने का अंदाज व जोश भी अलग होता है।
- इंशां, छात्रा, बेल्डीह चर्च। फोटो।
2. मैं नागपुर में भी बैडमिंटन खेलता हूं। यहां भी समर वैकेशन के दौरान बैडमिंटन खेल रहा हूं। इस खेल का मजा ही कुछ अलग है। इसमें दिमाग के साथ-साथ शारीरिक कसरत भी मैदान में ही हो जाती है।
- आदित्य, छात्र, नागपुर। फोटो।
3. समर कैंप के दौरान बैडमिंटन का हम सिर्फ आनंद ले रहे हैं। इस दौरान इस खेल के बारे में उन्हें काफी कुछ जानकारी मिल रही है। अब यह खेल आगे जारी रखना है कि नहीं, यह उनके माता-पिता तय करेंगे। -श्रेयस, छात्रा, कारमेल। फोटो
4. पढ़ाई के बाद अगर मैं किसी चीज को पसंद करती हूं तो वह है बैडमिंटन। इस कारण मैंने समर कैंप में बैडमिंटन खेल को ही चुना। इस दौरान इस खेल की बारीकियों से अवगत होने का मौका मिल रहा है। पहले तो सिर्फ टाइम पास होता था। अब इस खेल को अपने जीवन का एक अंग बनाना है।
-श्वेता, छात्रा, जेएच तारापोर। फोटो
5. बैडमिंटन को समर कैंप के दौरान चुना। बैडमिंटन में मेहनत बहुत है लेकिन वह मेहनत से नहीं डरती। खेल के दौरान ही शारीरिक व मानसिक विकास दोनों एक साथ हो जाता है, जो अन्य खेलों में नहीं है। -अपाला, छात्रा, सेक्रेड हर्ट। फोटो।
6. इस खेल को हम खेल की भावना से देखते हैं। इससे ज्यादा और कुछ नहीं। इस खेल को हम आगे भी जारी रखना चाहते हैं। इस समर कैंप से हमें काफी फायदा हो रहा है। - कुमारी अदिति, छात्रा, तारापोर स्कूल।