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गले से सिक्का निकालने की कीमत 10 हजार

संवाद सहयोगी, जमशेदपुर : लापरवाही की हद। मानवता शर्मसार, जान पर भी तीन दिनों तक रही आफत। हम, बात कर

By Edited By: Published: Sat, 25 Apr 2015 01:07 AM (IST)Updated: Sat, 25 Apr 2015 01:07 AM (IST)
गले से सिक्का निकालने की कीमत 10 हजार

संवाद सहयोगी, जमशेदपुर : लापरवाही की हद। मानवता शर्मसार, जान पर भी तीन दिनों तक रही आफत। हम, बात कर रहे हैं महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल की, जहां गरीब-दुखियों के लिए मुफ्त चिकित्सा सेवा का ढिंढोरा आए दिन पीटा जाता है लेकिन यहां चिकित्सा सेवा जरूरतमंदों को भी जेब गरम करने पर ही मिल रही है। एक ऐसा ही वाकया शुक्रवार को सामने आया। 10 वर्षीय गरीब बच्ची तीन दिन से एमजीएम अस्पताल का चक्कर लगा रही थी। इस दौरान अलग-अलग एक्सरे के नाम पर 300 रुपये भी खर्च हो गए, लेकिन उसके गले में सिक्का अटका ही रहा। अंत में सिक्का निकालने के लिए दस हजार रुपये की मांग की गई। जब पीड़िता के परिजनों ने इतना पैसा देने में असमर्थता जाहिर की तो उन्हें केला खाने के लिए कह दिया गया। इसके बाद पीड़ित टाटा मुख्य अस्पताल (टीएमएच) पहुंची, जहां पर उसके गर्दन से सिक्का निकालकर नई जिंदगी दी गई, वह भी मुफ्त।

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टीएमएच में हुआ निश्शुल्क इलाज

साकची गोलचक्कर के समीप फुटपाथ पर रहने वाली बैसाखी नामक 10 वर्षीय बच्ची बुधवार को भीख मांग रही थी। इस दौरान किसी व्यक्ति ने उसे एक रुपये का सिक्का दिया, जो खेल-खेल में उसके गले में जा अटका। परिजन उसे एमजीएम अस्पताल ले आए। यहां अलग-अलग तीन एक्सरे कराए गए, लेकिन सिक्का नहीं निकाला गया। इसमें तीन दिन गुजर गए। बिना कुछ खाए-पिये बच्ची की हालत बिगड़ती गई। अंत में सिक्का निकालने के लिए दस हजार रुपये की मांग की गई तो परिजन किसी तरह शुक्रवार को बच्ची लेकर टीएमएच पहुंचे। वहां पर बच्ची की हालत व परिजनों की स्थिति को देखते हुए अस्पताल प्रबंधन ने मानवता के नाते उसका निश्शुल्क इलाज करने का फैसला लिया। इसके बाद बच्ची के गर्दन से एक रुपये का सिक्का निकाला गया और उसकी जान बची।

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बच्ची की जा सकती थी जान

एमजीएम अस्पताल के चिकित्सकों की सलाह पर टीएमएच के ईएनटी विभागाध्यक्ष डॉ. केपी दुबे ने आश्चर्य व्यक्त किया। कहा कि ऐसी स्थिति में केला खाना बेहद खतरनाक हो सकता था। भोजन की नली और सांस की नली आसपास ही रहती है, ऐसे में गले में अगर कुछ अटका हो तो केला खाने से वो सांस की नली में भी जा सकता है जो जानलेवा साबित हो सकता है।

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'तीन दिन पहले बच्ची के गले में सिक्का अटक गया था। मैं उसे लेकर एमजीएम अस्पताल गया। तीन दिन तक एक्सरे के नाम पर तीन सौ रुपये लिए गए। अंत में चिकित्सकों द्वारा सिक्का निकालने के लिए दस हजार की मांग की गई। पैसा देने में असमर्थता जाहिर की तो केला खाने की सलाह दी गई।'

- राहुल कुमार, बच्ची के परिजन

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बच्ची के गले में सिक्का अटका हुआ था। उसकी स्थिति लगातार बिगड़ रही थी। गले से सिक्का निकालना बेहद जरूरी था, पर बच्ची के परिजनों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। वह किसी तरह गुजर-बसर करते हैं। मानवता के नाते बच्ची का निश्शुल्क इलाज किया गया।

- डॉ. केपी दुबे, विभागाध्यक्ष, ईएनटी, टीएमएच

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'मुझे इस बात की जानकारी नही मिली है। अगर ऐसी कोई बात थी तो मरीज को मुझसे संपर्क करना चाहिए था। अस्पताल में सभी तरह का इलाज निश्शुल्क है, अगर किसी के द्वारा पैसा मांगा जाता है तो ये गलत है। इसकी सूचना तत्काल दी जानी चाहिए थी।'

- डॉ आरवाई चौधरी, अधीक्षक, एमजीएम अस्पताल

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