मेहनत के बूते तय किया डॉक्टर से गायिका तक का सफर
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : तान्या गुप्ता और असित त्रिपाठी की गायकी का सफर बहुत ही चुनौतियों भरा रहा
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : तान्या गुप्ता और असित त्रिपाठी की गायकी का सफर बहुत ही चुनौतियों भरा रहा। दोनों को गायिकी का जुनून ऐसा कि असित ने संगीत के लिए इंजीनियर की नौकरी छोड़ दी तो तान्या गुप्ता ने डॉक्टरी। असित ने मुंबई से लगभग 70 किमी दूर विराज स्टील में बतौर मैकेनिकल इंजीनियर कुछ दिनों तक नौकरी की। तान्या ने भी एमबीबीएस किया पर संगीत में अभिरुचि के कारण उन्होंने आगे की पढ़ाई छोड़ दी। शुरुआती दौर में तान्या ने नौ-नौ घंटे रियाज किया। इस समय बॉलीवुड में सफल पार्श्वगायक बनने की उम्मीद लिए दोनों कलाकार मुंबई में जमे हुए हैं।
तान्या व असित ने शनिवार को दैनिक जागरण कार्यालय में अपने अनुभव साझा किए। तान्या ने बताया कि उनके पिता डॉ. सत्यदेव गुप्ता पेशे से डॉक्टर हैं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से बहुत दिनों से जुड़े हुए हैं। जब जम्मू में दैनिक जागरण स्थापित हुआ, तब से वह इसके पाठक हैं। मेरे घर में आज भी दैनिक जागरण आता है और हमारी दिन की शुरुआत इसी अखबार के साथ होती है। मैंने दैनिक जागरण के कई कार्यक्रमों में भाग लिया है। अभी कुछ दिन पहले बरेली और गोरखपुर में हुए कार्यक्रम में मुझे बुलाया गया था और मैंने उसमें भाग लिया। रियलिटी शो के बाद विजेताओं के कॅरियर के सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसे कलाकारों का कॅरियर इसलिए आगे नहीं बढ़ता क्योंकि वो रातों रात पब्लिक फीगर बन जाते हैं। जिंदगी बदल जाती है। प्राइवेट शो से ऐसे कलाकारों को पैसे तो मिलते हैं, लेकिन कॅरियर आगे नहीं बढ़ता। इनमें से तमाम तो ऐसे भी हैं जो प्रयास करना भी बंद कर देते हैं। फिर धीरे-धीरे मुख्य धारा से गायब ही हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि मैंने फौजियों की विधवाओं की मदद के लिए 35 से 40 शो किए। इससे आए धन से उनको स्वावलंबी बनाने में सहायता की गई। मेरे इस प्रयास की सराहना करते हुए पूर्व राष्ट्रपति डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम ने मुझे सम्मानित किया। समाजसेवा का ये काम आगे भी जारी रखने की मेरी योजना है। उन्होंने कहा कि फिलहाल बॉलीवुड में पार्श्वगायन के लिए मैं मुंबई में जमी हुई हूं और एक स्थापित पार्श्वगायिका बनने के लिए प्रयासरत हूं।
असित त्रिपाठी ने बताया कि वे ओडिशा के बरहमपुर का मूल निवासी हैं। विराज स्टील में मैकेनिकल इंजीनियर की नौकरी छोड़कर संगीत की सेवा में लगा हुआ हूं। दो साल से मुंबई में हूं। मेरे पिता डॉ. पूर्णचंद्र त्रिपाठी फौज में डॉक्टर हैं और दिल्ली में उनकी पोस्टिंग है। मैं गायन के साथ ही प्रोग्रामिंग भी करता हूं। अपनी जिंदगी में एक हजार से अधिक गाने गाने का मेरा सपना है और इस सपने को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि इस जमाने में सबको हड़बड़ी है। संगीत हो या कोई भी दूसरा क्षेत्र लोग रातों रात सफलता की सीढ़ी चढ़ना चाहते हैं। इसलिए सफलता नहीं मिलती। किसी भी क्षेत्र में शार्टकट नहीं होता। संगीत में रियाज का कोई विकल्प नहीं है। सही प्रशिक्षण व सही रियाज के बल पर ही सफलता संभव है। आज के कलाकार फाउंडेशन मजबूत करें नहीं तो पिछड़ जाएंगे। असित इंडियन आइडल के पांच फाइनलिस्ट में शुमार थे। रोमांटिक गाने में सिद्धहस्त असित अरिजीत सिंह, आतिफ असलम और सोनू निगम के गाने बहुत पसंद करते हैं और ज्यादातर उन्हीं के गाने गाते हैं। उन्होंने एक दर्जन से अधिक दक्षिण भारतीय फिल्मों में पार्श्वगायन किया है। बॉलीवुड की फिल्म 'मिस्टर मदर' में उन्होंने एक गाना 'इश्क का आसमां..' गाया है।