फागुन के पहले दिन से ही चढ़ जाती खुमारी
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : बिहारी समाज में फागुन के पहले दिन से ही लोगों पर होली की खुमारी चढ़ जाती
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : बिहारी समाज में फागुन के पहले दिन से ही लोगों पर होली की खुमारी चढ़ जाती है। इसका पता शहरों में तो नहीं चलता, पर गांवों में हर रोज शाम को गूंजने वाले फाग के गीत इसका एहसास कराते हैं। बिहारी समाज में फागुन मास शुरू होते ही लोग होलियाना माहौल में आ जाते हैं।
ग्रामीण इलाकों में गांवों के मंदिरों और लागों के घरों में मंडलियां हर रोज होली के गीत गाती हैं। नव विवाहिताएं पहली होली मायके मनाती हैं। होली के एक दिन पहले होलिका दहन होता है और होली के दिन सुबह से ही रंग खेलना शुरू कर दिया जाता है। शाम को लोग नए-नए कपड़ों में लक दक होकर अबीर और गुलाल खेलते हैं। एक-दूसरे के घर मिलने मिलाने का दौर चलता है। लोग एक-दूसरे के यहां जाकर बधाई देते हैं। पुआ, पूड़ी, कचौड़ी, छोला और दही बड़ा के साथ मटन और चिकन जो इस पर्व के मुख्य पकवान हैं, का आनंद लेते हैं।
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रीडर कनेक्ट :::::::
होली की तैयारी चरम पर है। बच्चों ने कपड़ों की खरीदारी कर ली है। घर में बनने वाले पकवानों के सामान भी आ गए हैं। बच्चे तो अभी से उत्साहित हैं।
-बिंदा तिवारी
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होली के दिन मैं तो घर में एक स्थान पर बैठ जाती हूं। लोग आते है और गुलाल लगाकर आशीर्वाद लेते हैं। हां बहुओं ने होली की खूब तैयारी की है। पकवान आदि वहीं बनाएंगीं।
-मंगलावती देवी
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बिहारी समाज में होली को लेकर बहुत उत्साह होता है। परदेश में काम करने वाले लोग होली में जरूर घर आते हैं। परिवार के सभी सदस्यों के लिए नये कपड़े खरीदे जाते हैं।
-मीना मिश्रा
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मैंने होली की तैयारी पूरी कर ली है। पुआ, पूड़ी, कचौड़ी, छोला और दही बड़ा के साथ ही कई तरह के पकवान बनाउंगी। हां इसका जरूर ख्याल रखूंगी कि बच्चे खुशियां मनाएं और लड़ाई झगड़े व फसाद से दूर रहें।
-रेनू सिंह