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सुरा सो पहचानिये जो लड़े दीन के हीत..

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : सुरा सो पहचानिये जो लड़े दीन के हीत, पुरजा, पुरजा कट मरे कभू न छाठे खेत।

By Edited By: Published: Mon, 22 Dec 2014 01:05 AM (IST)Updated: Mon, 22 Dec 2014 01:05 AM (IST)
सुरा सो पहचानिये जो लड़े दीन के हीत..

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : सुरा सो पहचानिये जो लड़े दीन के हीत, पुरजा, पुरजा कट मरे कभू न छाठे खेत। गुरू की वाणी से संगत रविवार को टुइलाडुंगरी गुरुद्वारा व तारकंपनी गुरुद्वारा में सजे कीर्तन दरबार में निहाल हुई। दोनों ही गुरुद्वारों में गुरु का अटूट लंगर संगत के बीच वितरण किया गया। बड़े साहिबजादे बाबा अजीत सिंह व बाबा जुझार सिंह के शहीदी दिवस के रुप में टुइलाडुंगरी गुरुद्वारा में व छोटे साहिबजादे बाबा फतेह सिंह व बाबा जुरावर सिंह के शहीदी दिवस के रुप में तारकंपनी गुरुद्वारा में कीर्तन दरबार का आयोजन किया गया था।

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टुइलाडुंगरी गुरुद्वारा में अखंड पाठ की समाप्ति रविवार की सुबह हुई। पाठ की समाप्ति के बाद प्रचारक जसवीर सिंह, कीर्तनी जसवंत सिंह, प्रभजोत सिंह मल्ली व स्त्री सतसंग सभा की बीबीओं द्वारा कीर्तन गायन किया गया। जसवंत सिंह भोमा ने बाबा जीवन सिंह की जीवनी पर संगत के बीच प्रकाश डाला।

गुरुद्वारा में करीब आठ हजार संगत पहुंचे थे। जिंहोंने गुरु का अटूट लंगर छका और कीर्तन दरबार में गुरू की वाणी सुनी। कार्यक्रम को सफल बनाने में टुइलाडुंगरी गुरुद्वारा के प्रधान सरदार जसवीर सिंह, सेवा सिंह, रंजीत सिंह, दीदार सिंह, बलवंत सिंह, महेन्द्र सिंह, जोगिन्दर सिंह, जसवंत सिंह भोमा, जसवंत सिंह मुगलचक, दलवीर कौर, राज कौर, मनोहर सिंह, जसवंत सिंह की भूमिका रही।

सिख नौजवान सभा व तारकंपनी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से छोटे साहिबजादे के शहीदी दिवस के मौके पर कीर्तन दरबार का आयोजन किया गया था। तारकंपनी गुरुद्वारा में सुबह दस बजे अखंड पाठ की समाप्ति हुई है। स्त्री सतसंग सभा की बीबीयों, भाई साहिब भाई राजवीर सिंह व मनी सिंह ने कीर्तन गायन कर संगत को निहाल किया। बीबी मनप्रीत कौर ने छोटे साहिबजादे की जीवनी पर प्रकाश डाला। इस मौके पर सीजीपीसी के प्रधान सरदार इन्द्रजीत सिंह व तख्त श्री पटना साहिब डेवल्पमेन्ट कमेटी के चेयरमैन सरदार शैलेन्द्र सिंह भी तारकंपनी गुरुद्वारा पहुंचे थे। तारकंपनी गुरुद्वारा में दोपहर ढाई बजे कीर्तन दरबार की समाप्ति के बाद पुन: छह बजे से कीर्तन दरबार का आयोजन किया गया। दोनों समय करीब चार हजार संगत कीर्तन दरबार में पहुंचे थे। कीर्तन दरबार को सफल बनाने वाले अमरजीत सिंह, तरसेम सिंह, सतविन्दर सिंह, अमरीक सिंह, कमल सिंह सहित अन्य सिख युवकों की अहम भूमिका रही।


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