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सती का अभिप्राय श्रीयुक्त व सत्ययुक्त आचारण से

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : सती का अभिप्राय श्रीयुक्त और सत्ययुक्त आचरण से है। इसलिए महिलाओं को विवा

By Edited By: Published: Mon, 22 Dec 2014 01:01 AM (IST)Updated: Mon, 22 Dec 2014 01:01 AM (IST)
सती का अभिप्राय श्रीयुक्त व सत्ययुक्त आचारण से

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : सती का अभिप्राय श्रीयुक्त और सत्ययुक्त आचरण से है। इसलिए महिलाओं को विवाह के पश्चात श्रीमती के शब्द से अलंकृत किया जाता है। जुगसलाई स्थित माहेश्वरी मंडल में माहेश्वरी मंडल और माहेश्वरी महिला मंडल के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे सात दिवसीय शिव पुराण कथा यज्ञ में व्यासपीठ से बोलते हुए कथावाचक रामनिवासाचार्य ने रविवार को सती शिव चरित्र और शिव दक्ष श्राप के प्रसंग की कथा सुनाई। रविवार को कथा का दूसरा दिन था और कथा प्रति दिन दोपहर तीन बजे से संध्या छह बजे तक चलेगी।

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उन्होंने लक्ष्मी की चंचलता के साथ साथ दैनिक जीवन से संबंधित च्योतिष विज्ञान की भी जानकारी दी। लक्ष्मी के सन्दर्भ में बताते हुए कहा कि ये चंचला हैं और जीव के जीवन में किसी भी स्वरूप में आती हैं, लेकिन नैतिक मूल्यों से की गयी कमाई स्थायी होती है। अनैतिक माध्यम से आई हुई लक्ष्मी बुढ़ापे में छोड़ कर चली जाती है। संजय खटोड, पिंकेश माहेश्वरी, महेश-संजय कुमार झावर, मनमोहन-मनोज कुमार माणधणा आदि ने सपरिवार दैनिक पूजन अनुष्ठान को संपन्ना कराया। रविवार की कथा के विश्राम के पश्चात प्रसाद का वितरण सीताराम जाखोटिया, ललितमोहन लाखोटिया, मंगतूराम शारडा के सौजन्य से हुआ। छितरमल धूत, जगदीश धूत, जुगल लढ्डा, राजकुमार लढ्डा, महेश लाखोटिया, राधेश्याम शारडा, गोविन्द शारडा, ऊषा बागड़ी, सुमन आगीवाल, कौशल्या परवाल, ऊषा शारडा, प्रमिला आगीवाल, ऊषा माहेश्वरी, वल्लभ तापड़िया, कैलाश आगीवाल, मुरारी शारडा आदि ने कथा श्रवण का लाभ लिया।


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