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छुट्टी के बाद भी रिलीवर क्यों नहीं मिला

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : हवलदार हरेश्वर राम को ईएल के तहत विभागीय अवकाश मिला था। वह घर जाने को

By Edited By: Published: Fri, 31 Oct 2014 02:15 AM (IST)Updated: Fri, 31 Oct 2014 02:15 AM (IST)
छुट्टी के बाद भी रिलीवर क्यों नहीं मिला

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर :

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हवलदार हरेश्वर राम को ईएल के तहत विभागीय अवकाश मिला था। वह घर जाने को परेशान था, पर हर दिन उसे यही कहा जाता था कि रिलीवर आएगा, वह तब छुट्टी पर जाए। न रिलीवर आया और न ही वह छुट्टी पर जा पाया। वह मां का इलाज भी नहीं करा पाया। तनाव में रहने के बावजूद वह लगातार ड्यूटी करता रहा। उसके एक सहयोगी ने बताया कि वह अक्सर अपनी मां के स्वास्थ्य के संबंध में बातचीत करता था। कहता था कि मां का इलाज कराना है। इसके लिए उसने एटीएम से रुपये की निकासी भी कर रखी थी। विभागीय सूत्रों की मानें तो ईएल छुट्टी जिसे मिलती है, नियम यह है कि उसके स्थान पर कोई रिलीवर आता है, तभी वह पुलिस लाइन जाता है। इसके बाद वहां से अवकाश पर जाता है। आखिर हरेश्वर राम को रिलीवर क्यों नहीं मिला, यह बताने को कोई तैयार नहीं है। जिस दिन हरेश्वर ने खुद को गोली मारी, उस दिन 28 अक्टूबर की शाम थाने में शोर-शराबा हुआ था। गाली-गलौज भी हुई थी। इसके बाद ही फायरिंग की आवाज थाना परिसर के बैरक, क्वार्टर और आस-पास में रहने वाले लोगों ने सुनी। थाने में मुंशी और हरेश्वर राम के सिवाय वहां कोई नहीं था।

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सिटी एसपी ने थाने में लिया बयान

घटना के दिन ही सिटी एसपी कार्तिक एस समेत अन्य अधिकारियो ने मौके पर पहुंच थाने के जवानों और थाने के अधिकारियो का बारी-बारी से बयान लिया। कौन-कहां घटना के दौरान था।

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हत्या मामले की हो जांच : राजीव कुमार

हवलदार हरेश्वर राम की मौत को अधिवक्ता राजीव कुमार ने हत्या करार देते हुए कहा कि वरीय अधिकारी मामले को दबा रहे है और बिरसानगर थाने के मुंशी को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। अगर पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज नहीं करेगी तो वे न्यायालय में अर्जी दाखिल करेंगे। हवलदार की पत्‍‌नी ने वकालतनामा पर हस्ताक्षर कर दिया है। परिजनों को वरीय अधिकारी यह कह रहे है कि हरेश्वर राम ने खुदकुशी की है। उसने इससे पूर्व दूसरे को मारने को फायरिंग की थी।

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गाने-बजाने का शौकीन था हरेश्वर

हवलदार हरेश्वर राम के संबंध में उसके एक सहयोगी ने बताया कि हवलदार साहब गाना-बजाने के बड़े शौकीन थे। हमेशा गुनगुनाते रहते थे। ड्यूटी के भी पक्के थे। जिस दिन हवलदार की मौत हुई, उस दिन वे छठ घाट का दौरा कर थाने के बड़ा बाबू के साथ लौटे थे। गश्ती से वापस लौटने के बाद उनसे ड्यूटी को कहा गया था। हवलदार ने कहा कि खाना बना लेते हैं, इसके बाद ही जाएंगे। इसके बाद अधिकांश अधिकारी व जवान परिचित के यहां खरना का प्रसाद खाने चले गए। हवलदार बैरक से वापस कब थाना आ गए और घटना किस परिस्थिति में हो गई, यह तो बताने के लिए मुंशी के सिवाय और कोई नहीं है।


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