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छठ बीता, नदी घाटों पर पीछे गंदगी का अंबार

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : लोक आस्था का महापर्व छठ बीत गया। शहर के तमाम स्वयंसेवी संगठनों ने घाटों

By Edited By: Published: Fri, 31 Oct 2014 04:19 AM (IST)Updated: Fri, 31 Oct 2014 01:01 AM (IST)
छठ बीता, नदी घाटों पर पीछे गंदगी का अंबार

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : लोक आस्था का महापर्व छठ बीत गया। शहर के तमाम स्वयंसेवी संगठनों ने घाटों पर व्रतियों और श्रद्धालुओं की सेवा के लिए शिविर लगाए। उन्हें भोग खिलाया, चाय पिलाई। यह सेवा भावना सराहनीय और प्रशंसनीय है लेकिन संगठनों के लोग और श्रद्धालु दोनों यह भूल गए कि देश में इस समय 'स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत अभियान' चल रहा है। इससे बड़ी बात यह है पूरा देश धीरे-धीरे ही सही सफाई के प्रति सजग और सतर्क हो रहा है। हमने लोगों की सेवा तो की, लेकिन पीछे छूट गया कचरे का अंबार। यह कचरा अपने अंदर तमाम बुराइयां और परेशानियां समेटे हुए है। जिन घाटों पर भी छठ मइया की पूजा हुई, वहां हर रोज लोग नहाते हैं और जानवरों को भी नहलाते हैं। यदि हमने गंदगी फैलाई तो सफाई की जिम्मेदारी भी हमारी ही है। एक विकल्प यह भी हो सकता था कि वहां टोकरी या डस्टबीन रखकर लोगों से यह अपील की जाती कि लोग चाय के कप, भोग व प्रसाद आदि के प्लेट उसी में डालें। यदि ऐसा होता तो नदी के घाट इस बेहिसाब गंदगी से बच जाते। गुरुवार को छठ पूजा के बाद स्वर्णरेखा घाट का हाल बहुत बुरा था। पूजन सामग्री, मिट्टी के बर्तन, प्लास्टिक की थैलियां, नारियल के छिलके, पानी की बोतलें, चाय के कप, प्रसाद की प्लेटें और दूसरे प्रकार की इतनी गंदगी पसरी है कि यहां पैर रखने पर भी डर लगे।


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