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आओ मनाएं जश्न कि शाम-ए-दीपावली है

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : चारों ओर जगमगाती रोशनी। सजावट के कारण शहर की सड़कों पर उभरती सतरंगी छटा।

By Edited By: Published: Fri, 24 Oct 2014 01:00 AM (IST)Updated: Fri, 24 Oct 2014 01:00 AM (IST)
आओ मनाएं जश्न कि शाम-ए-दीपावली है

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : चारों ओर जगमगाती रोशनी। सजावट के कारण शहर की सड़कों पर उभरती सतरंगी छटा। बाजार में बेहिसाब रौनक। बैग-थैला लिए पूजन सामग्री, मिठाई आदि खरीदते लोगों के दमकते चेहरे। लग रहा है दीपावली आ गई।

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बुधवार की शाम को लोहे के शहर जमशेदपुर का नजारा कुछ ऐसा ही था। जहां नजर आए, वहीं छलकता रोशनी का नूर। पर्व के उल्लास से चहकते बच्चे, बूढ़े, नर-नारी सभी। रंग-रोगन और साफ-सफाई के साथ ही दीयों की लड़ियां और बिजली की सजावट शहर की सुंदरता को चार-चांद लगा रही थी। शाम को सड़क पर निकला तो भ्रम हुआ कि दीपावली आज है या कल। यदि शहर की खूबसूरती का आलम दीपावली की पूर्व संध्या पर है तो दीपावली को शहर कितना दमकेगा, अंदाजा आप लगाइए। लगाइए..। मुझे तो लग रहा है गुरुवार को आकाश के तारे जमीन पर उतर आएंगे।

प्रकाश का पर्व दीपावली गुरुवार को है। सनातन धर्मावलंबी दीपावली को त्योहारों का त्योहार मानते हैं। इसमें धनतेरस, नरकचतुर्दशी, दीपावली, काली पूजा, गोवर्धन पूजा और यमद्वितीया शामिल हैं। त्योहारों की इस पूरी श्रृंखला को लौहनगरी में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। मंगलवार को धनतेरस और बुधवार को नरकचतुर्दशी का त्योहार लोगों ने बड़े उत्साह के साथ मनाया। अब गुरुवार को दीपावली को भी उसी उत्साह के साथ मनाने के लिए बुधवार को लोगों ने गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमा, खील, बताशा, मिट्टी और चीनी के खिलौने, पटाखों समेत अन्य सजावट के सामानों की जमकर खरीदारी की। दीपावली की रात को महानिशीथ के नाम से जाना जाता है और इस रात कई प्रकार के तंत्र-मंत्र से महालक्ष्मी की पूजा-अर्चना कर पूरे साल के लिए सुख-समृद्धि और धन लाभ की कामना की जाती है। दीपावली के आगमन को लेकर बुधवार को शहर में उल्लास का माहौल था। अपने घरों को तरह-तरह से रंग-रोगन करने के बाद लोगों ने शाम को आकर्षक विद्युत सज्जा से सजाया। बुधवार को शहर के विभिन्न इलाके में मिठाई, गणेश लक्ष्मी की प्रतिमा, दीपक, पटाखे, सजावट की सामग्री की दुकानें सजी रहीं। कार्तिक महीने की अमावस की रात को सबसे काली रात माना जाता है। घर व परिवार पर इस काली रात का साया न पड़े एवं समृद्धि बनी रहे, इसके लिए दीपक जलाने के साथ-साथ मां काली के अलावा लक्ष्मी-गणेश की भी पूजा की जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार इसी दिन भगवान राम रावण के अत्याचार से जगत को मुक्त कर अध्योध्या लौटे और अयोध्यावासियों ने खुशियां मनाई। तभी से दीपावली का पर्व शुरू हुआ। इसका वैज्ञानिक पक्ष यह है कि दीपक जलाने से विभिन्न प्रकार के हानिकारक जीवाणु जलकर नष्ट हो जाते हैं। इससे अमावस्या की रात को उजाला होता है। जीवाणुओं व रोगाणुओं के नष्ट होने से रोग से भी बचाव होता है। शहर के मुख्य बाजार साकची, बिष्टुपुर, जुगसलाई, गोलमुरी के अलावा अन्य बाजारों में बुधवार को आधी रात तक रौनक रही।


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