नक्सल क्षेत्रों में विकास का खाका खींचेगी सीआरपीएफ
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : पूर्वी सिंहभूम के नक्सल प्रभावित इलाकों के विकास में अब सेंट्रल रिजर्व प
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : पूर्वी सिंहभूम के नक्सल प्रभावित इलाकों के विकास में अब सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) भी शामिल होगी। इन इलाकों के विकास के लिए चल रही एडिशनल सेंट्रल असिस्टेंस (एसीए) की दशा और दिशा तय करने में सीआरपीएफ के आला अफसरों की भी राय ली जाएगी। इस संबंध में केंद्र सरकार के निर्देश आने के बाद एनआरईपी (विशेष प्रमंडल) के प्रधान सचिव के विद्या सागर ने डीसी डा. अमिताभ कौशल को आदेश भेज दिया है।
अभी एसीए की रूपरेखा तय करने में डीसी डॉ. अमिताभ कौशल के अलावा एसएसपी और डीएफओ की भी भूमिका है। अब इसमें सीआरपीएफ भी शरीक हो गई है। एसीए की आइंदा होने वाली बैठक में डीसी, एसएसपी और डीएफओ के अलावा सीआरपीएफ के भी आला अफसर होंगे। माना जा रहा है कि सीआरपीएफ नक्सल इलाकों की समस्या से बखूबी वाकिफ है। इसीलिए उसे एसीए की रूपरेखा तय करने वालों में शामिल किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने नक्सल प्रभावित इलाकों के विकास के लिए 2010-11 में इंटीग्रेटेड एक्शन प्लान शुरू किया था जिसे 2012-13 में बंद कर दिया गया।
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एसीए में अब तक मिल चुके हैं 20 करोड़
वित्त साल 2013-14 में सरकार ने आइएपी को बंद कर इसकी जगह एसीए को शुरू किया है। इस योजना के तहत हर साल 30 करोड़ रुपये दिए जा रहे हैं। चालू साल में अब तक 20 करोड़ रुपये मिल चुके हैं। योजना में तकरीबन 10 करोड़ रुपये की योजना पहले और नौ करोड़ 30 लाख 31 हजार 218 रुपये की योजनाएं 13 अक्टूबर को मंजूर हो चुकी हैं।
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दूसरे राज्य के सीमावर्ती जिलों की लें राय
एनआरईपी (विशेष प्रमंडल) के प्रधान सचिव के विद्यासागर ने हिदायत दी है कि एसीए में सीमावर्ती इलाकों में योजनाएं नहीं ली जा रही हैं। इसलिए उन इलाकों में से भी योजनाएं चुनी जाएं और इस संबंध में जरूरत हो तो सीमावर्ती इलाकों से सटे हुए अन्य राज्यों के अफसरों की भी राय योजना तैयार करते वक्त ली जाए।
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उग्रवाद प्रभावित इलाकों को दें प्राथमिकता
एनआरईपी (विशेष प्रमंडल) के प्रधान सचिव के विद्यासागर का कहना है एसीए को लेकर कुछ जिले ईमानदारी नहीं बरत रहे हैं। इसके तहत सामान्य इलाकों में भी योजनाएं ले ली जाती हैं जो सरासर गलत है। प्रधान सचिव ने सख्त हिदायत दी है कि हर हाल में एसीए में उग्रवाद प्रभावित इलाकों को ही प्राथमिकता दी जाए।