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टाटा मोटर्स कर्मियों ने किया कैंटीन का बहिष्कार

By Edited By: Published: Tue, 16 Sep 2014 01:46 AM (IST)Updated: Tue, 16 Sep 2014 01:46 AM (IST)
टाटा मोटर्स कर्मियों ने किया कैंटीन का बहिष्कार

संवाद सहयोगी, जमशेदपुर : टाटा मोटर्स व उसकी सहायक कंपनी टीएमएल ड्राइवलाइंस में हुए बोनस समझौते से कर्मचारियों में असंतोष का माहौल है। बीते शनिवार को यहां 10.5 फीसद बोनस समझौता हुआ था। बीते वर्ष (13.4 फीसद) की तुलना में कम बोनस मिलने से सभी स्तर के कर्मचारियों में नाराजगी है। सोमवार को कंपनी के करीब सभी कैंटीन में नास्ता व खाना का बहिष्कार किया गया। सुबह नास्ते पर बहुत कम कर्मचारी दिखे तो दोपहर में भोजन के समय भी कुछ ही कर्मचारी कैंटीन गए। कंपनी के अधिकारी पूरे दिन कर्मचारियों को मनाने में जुटे रहे, लेकिन उसका कोई असर देखने को नहीं मिला। यूनियन पदाधिकारियों से लेकर कमेटी मेंबरों तक विभाग से दूर रहे। दो-चार कमेटी मेंबरों को छोड़कर कंपनी के अंदर कोई नहीं दिखा।

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जानकारी के मुताबिक टाटा मोटर्स के फाइनल रेक्टीफिकेशन, प्लांट वन, व‌र्ल्ड ट्रक, एचवी एक्सल व एचवी ट्रांसमिशन यूनिटों में कैंटीन का बहिष्कार हुआ।

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प्रबंधन की कड़ी नजर

बोनस पर बवाल खड़ा करने वाले कर्मचारियों पर प्रबंधन द्वारा कड़ी नजर रखी गई है। कंपनी प्रबंधन ने वैसे कर्मचारियों को चिह्नित भी किया है, जो कर्मियों को भड़काने व कैंटीन बहिष्कार करने के लिए उकसा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक प्लांट वन डिवीजन के एक कर्मी के स्थानांतरण की बात आ रही है, तो एक कमेटी मेंबर व एक कर्मचारी का नाम माहौल बिगाड़ने में सामने आया है।

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आक्रोश से बिगड़ा माहौल

टेल्को यूनियन के विरोधी खेमे के नेता एके पांडेय ने कहा कि मजदूरों को बोनस से पूर्व कम से कम 12.5 फीसद पर समझौते करने का आश्वासन मिला था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फिर जो हुआ उसके बारे में कर्मचारियों को नहीं बताया गया। कोई यूनियन नेता समझौते के बारे में कर्मचारियों को समझाने नहीं गया। आपसी तालमेल व संवादहीनता से कैंटीन का बहिष्कार हुआ है।

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भ्रामक प्रचार से दूर रहें कर्मचारी : प्रबंधन

टाटा मोटर्स प्रबंधन ने कर्मचारियों को भ्रामक प्रचार से दूर रहने की सलाह दी है। कंपनी द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि टाटा मोटर्स गत दो वर्ष से भारी संकट का सामना कर रही है। इसके बावजूद कंपनी ने कर्मचारियों पर इसका असर कम से कम पड़ने का प्रयास किया। वित्तीय प्रदर्शन के आधार पर प्रबंधन ने यूनियन के साथ बोनस समझौता भी किया, तो वादे के मुताबिक स्थायीकरण की परंपरा को भी टूटने नहीं दिया। बोनस का प्रतिशत भले ही गत वर्ष से कम हो, लेकिन कर्मचारियों को मिलने वाली राशि में मामूली अंतर आया है। इन सबके बावजूद कुछ वैसे तत्व कर्मचारियों को भड़काने में लगे हैं जिन्हें कंपनी या कर्मचारियों से कोई सहानुभूति नहीं है। यद्यपि प्रबंधन को पूरा विश्वास है कि कर्मचारी वैसे भ्रष्ट तत्वों के बहकावे में नहीं आएंगे, जो निजी स्वार्थवश कंपनी का माहौल बिगाड़ने में लगे हैं। कर्मचारियों को अपने विभागीय प्रमुख से बात कर शंका-समाधान करने की सलाह दी गई है।


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