वेज रिवीजन में डीए, इंक्रीमेंट व स्पैन अहम
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर:
यह तो अब सर्वविदित है कि टाटा स्टील के कर्मचारियों के लिए ग्रेड रिवीजन का मुद्दा सबसे अहम है। वेज को लेकर चल रही वार्ता की अवधि जैसे-जैसे लंबी होती जा रही है, कर्मचारियों ने वेज के अंदर तमाम अहम बिन्दुओं में अपनी प्राथमिकता तय कर ली हैं। टाटा वर्कर्स यूनियन के पदाधिकारियों की ओर से दावा किया गया है कि वेज के मुद्दे पर विभिन्न विभागों के कर्मचारियों के बीच पहली बार सर्वे किया गया है। इसमें डीए, इंक्रीमेंट एवं स्पैन के मुद्दे को कर्मचारियों ने अपनी पहली प्राथमिकता बताया है। समयावधि एवं एमजीबी को दूसरी प्राथमिकता में रखा है। प्रबंधन एवं यूनियन के बीच वेज पर वार्ता की गाड़ी समयावधि एवं एमजीबी के मुद्दे पर ही फंसी है। जाहिर है कि यूनियन के सर्वे के जरिए कर्मचारियों की राय का हवाला देकर ग्रेड के पेंच को निकालने की कोशिश की जा रही है। दावा किया जा रहा है कि यह सर्वे विभिन्न विभागों में कर्मचारियों की राय के आधार पर तैयार किया गया है। उम्मीद की जा रही है कि नये विकल्पों के आधार पर यूनियन अपनी तरफ से टकराव खत्म कर वार्ता को नतीजे तक पहुंचाने की पहल करेगी। अगस्त का महीना काफी अहम रहने वाला है।
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वेज के अहम बिन्दु
-डीए : प्रबंधन ने पहले एनएस ग्रेड की तरह पुराने कर्मचारियों को भी पर प्वाइंट के आधार पर डीए का प्रस्ताव दिया था। दावा किया गया है कि यूनियन की पहल के बाद प्रबंधन डीए के पुराने फार्मूले को कायम रखते हुए बेसिक में डीए को मर्ज करने पर भी सहमत हो गया है। कर्मचारियों के लिए यह सबसे अहम पहलू है।
-इंक्रीमेंट : यूनियन की पहल पर प्रबंधन हर वर्ष तीन फीसद इंक्रीमेंट देने के प्रस्ताव पर भी लगभग सहमत हो चुका है। डीए के बाद इंक्रीमेंट भी कर्मचारियों की प्राथमिकता में है।
-स्पैन : पुराने फार्मूले के अनुसार कंपनी प्रबंधन एवं यूनियन में 18 इंक्रीमेंट स्पैन देने पर भी लगभग सहमति बन चुकी है। डीए, इंक्रीमेंट के बाद स्पैन कर्मचारियों की प्राथमिकता है।
-समयावधि : समझौते की अवधि प्रबंधन सात साल तथा यूनियन पांच साल रखना चाहती है। इस पर लंबे समय से टकराव की स्थिति बनी हुई है। लिहाजा सर्वे के आधार पर दावा किया जा रहा है कि अगर पांच साल की बजाए छह साल के लिए भी समझौता होता है तो कर्मचारी संतुष्ट रहेंगे।
-एमजीबी : यूनियन ने एनजेसीएस के बराबर बेसिक एवं डीए पर पांच साल की अवधि के लिए 17 फीसद एमजीबी की मांग रखी है लेकिन प्रबंधन इस पर सहमत नहीं है। लिहाजा विकल्प के रूप में छह साल में 17 फीसद एमजीबी का फार्मूला पेश किया जा सकता है।
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कोट
हां, यह सही है कि वेज रिवीजन पर विभिन्न विभागों के कर्मचारियों के बीच कराए गए सर्वे में डीए, इंक्रीमेंट एवं स्पैन की पुरानी प्रणाली को कायम रखने पर पूरा जोर है। वहीं समयावधि तथा एमजीबी पर टकराव कम करने के लिए कुछ परिवर्तन से कर्मचारियों को ऐतराज नहीं दिख रहा।
-आरके सिंह, सहायक सचिव,
टाटा वर्कर्स यूनियन