भारतीय राजनीति में आएंगे अच्छे लोग
वीरेंद्र ओझा, जमशेदपुर :
ऐसा नहीं है कि भारतीय राजनीति में घिसे-पिटे राजनीतिज्ञ परिवारों का ही वर्चस्व कायम रहेगा। अब इसमें बदलाव की बयार बहने लगी है। यह मानना है जमशेदपुर लोकसभा चुनाव में झामुमो प्रत्याशी निरुप महंती का। महंती कहते हैं कि इस बार के लोकसभा चुनाव में कारपोरेट-ब्यूरोक्रेट्स भारी तादाद में उम्मीदवार के रूप में सामने आए हैं। आने वाले चुनाव में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ेगी, घटेगी नहीं। जमशेदपुर लोकसभा की ही बात लें, तो पिछली बार सिर्फ डॉ. अजय कुमार थे। इस बार उन्हें (निरुप महंती) मिलाकर दो लोग आए। आज दूसरे देशों की स्थिति हमसे अच्छी सिर्फ इसलिए क्योंकि वहां राजनीति में पढ़े-लिखे लोग हैं। आइए जानें स्थानीय राजनीति पर निरुप महंती के विचार..
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राजनीति का ख्याल कैसे आया?
- मैंने कभी नहीं सोचा था कि कभी राजनीति में आऊंगा। लेकिन मैं और पत्नी (रूपा महंती) टीवी देखते हुए और समाचार पत्र पढ़ते हुए देश की स्थिति पर गाहे-बगाहे चर्चा करते थे। सचमुच बड़ा क्षोभ होता था देश की हालत पर। हम अपनी दिवंगत बेटी (कुडी महंती) के नाम पर पिछले कई साल से समाजसेवा कर रहे थे। उसे बड़े पैमाने पर करने की योजना भी बना रहे थे, ताकि कोई भी शुद्ध पेयजल से वंचित न रहे। लेकिन इसे व्यापक रूप देने के लिए हम कारपोरेट फील्ड से ही सहयोग लेने की बात सोच रहे थे, राजनीति के जरिए नहीं।
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चुनाव में कैसे उतरे?
- यह फैसला मेरे जीवन में अचानक आया। एक दिन मुझे चंपई सोरेन (मंत्री, झारखंड सरकार) का फोन आया, तो मैं चौंक गया। जैसे ही उन्होंने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा आपको जमशेदपुर से सांसद का उम्मीदवार बनाना चाहता है, क्या आप तैयार हैं। इस पर उन्होंने थोड़ा समय मांगा, पत्नी से सलाह ली और हां कर दिया।
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चुनाव में कितना सहयोग मिला?
- एक बार झामुमो सुप्रीमो गुरुजी शिबू सोरेन और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का निर्देश जारी हो गया तो कहीं अगर-मगर की गुंजाइश नहीं बची। शुरुआत के एक-दो दिन हमें पार्टी नेताओं के साथ बैठकर मसलों को समझने में वक्त लगा, लेकिन उसके बाद कोई परेशानी नहीं हुई।
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कैसा रहा चुनाव का अनुभव?
- यह बड़ी अजीब बात रही कि चुनाव प्रचार के दौरान यहां के लोगों ने जो समस्याएं रखीं, वे सांसद के स्तर की नहीं थीं। आम तौर पर लोग सड़क, नाली, पेयजल, चिकित्सा, शिक्षा आदि से संबंधित छोटी-मोटी बातों को सामने रखा जो विधायक स्तर की थीं। इसके बावजूद सांसद यदि इन समस्याओं के लिए पहल करे, तो समाधान जल्दी हो सकता है।
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चुनाव परिणाम के बाद क्या करेंगे?
- चुनाव का परिणाम 16 मई को आएगा, लेकिन इसे लेकर वह ज्यादा चिंतित नहीं हैं। यदि जीते तो बहुत अच्छा होगा, उन्होंने जो भी प्लान बनाया है उसके मुताबिक इस क्षेत्र का विकास करेंगे। यदि हार गए, तो भी वह जनता की सेवा में जुटे रहेंगे। उनके मन में रोजगारोन्मुखी शिक्षा व प्रशिक्षण के साथ रोजगार दिलाने के लिए बड़ी योजना है उसे धरातल पर उतारने का प्रयास करूंगा। जीत गया तो इसमें आसानी होगी, हारने पर थोड़ी मुश्किल होगी, लेकिन करूंगा जरूर। उनका मानना है कि इससे आम आदमी की आर्थिक व सामाजिक स्थिति को मजबूत किया जा सकता है।
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झामुमो से कैसा जुड़ाव रहेगा?
- जब मैंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता ले ली है तो छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता। मैं पार्टी से जुड़ा रहूंगा और गुरुजी व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की उन क्षेत्रों में मदद करूंगा। मुझे लगता है कि हेमंत सोरेन राज्य के लिए कुछ अच्छा करना चाहते हैं, मैं योजना बनाने और उसे धरातल पर उतारने में पूरी मदद करूंगा। पार्टी के लिए प्रचार वगैरह में उतनी मदद नहीं कर सकता, क्योंकि मैं उसका विशेषज्ञ नहीं हूं।
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कल जाएंगे पुरी, तीन दिन रहेंगे
लोकसभा चुनाव के बाद निरुप महंती अपनी पत्नी रूपा महंती के साथ रविवार को पुरी जाएंगे, जहां वे तीन दिन रहेंगे। महंती बताते हैं कि वह साल में दो-तीन बार पुरी अवश्य जाते हैं। भगवान जगन्नाथ में उनकी गहरी आस्था है, लेकिन चुनाव की वजह से इधर जा नहीं पाया। इस बीच शुक्रवार को वह और उनकी पत्नी मैनेजमेंट कंसल्टेंट के उन कामों को निपटाने में जुटे रहे, जो पिछले 15-20 दिन से लंबित थे।