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महिलाओं का बहा पसीना तो खेतों ने उगला सोना

मेहनत के बूते इन गांवों में महिलाएं समृद्धि की कहानी लिख रही हैं। पुरुषों के वर्चस्व वाली खेती-किसानी में महिलाओं की यह धमक नई कहानी कह रही है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Fri, 16 Feb 2018 11:42 AM (IST)Updated: Fri, 16 Feb 2018 11:59 AM (IST)
महिलाओं का बहा पसीना तो खेतों ने उगला सोना
महिलाओं का बहा पसीना तो खेतों ने उगला सोना

विकास कुमार, हजारीबाग। गृहस्थी की बागडोर जब भी महिलाओं ने संभाली बरक्कत की बारिश होने लगी। इस मोल को हमारी मिट्टी भी बखूबी पहचानती है। हजारीबाग के टाटीझरिया प्रखंड के दर्जनों गांवों में भी जब इन भाग्यलक्ष्मियों का पसीना बहा तो यहां के खेतों ने उसका मोल सोने के रूप में चुकाया। मेहनत के बूते इन गांवों में महिलाएं समृद्धि की कहानी लिख रही हैं। पुरुषों के वर्चस्व वाली खेती-किसानी में महिलाओं की यह धमक नई कहानी कह रही है। महिला किसान यहां समूह में आधुनिक और वैज्ञानिक तरीके से खेती कर खेतों से अच्छी उपज हासिल कर रही हैं। इसके लिए वह विधिवत प्रशिक्षण भी ले रही हैं।

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कतार में लगी सब्जियां खींचती हैं ध्यान

बगोदर हजारीबाग मार्ग (एनएच 19) पर स्थित टाटीझरिया प्रखंड के खैरा, करमा, बेडमक्का, अमनारी, सिमराधाब आदि गांवों से होकर गुजरें तो यहां धान की फसल के अलावा सुनियोजित तरीके से खेतों में कतार से लगी लहलहाती सब्जियों की फसलें आपका ध्यान खींचती हैं। यहां की सब्जियां की आसपास के बाजारों में अच्छी धमक है। खुशहाली और हरियाली के इस नजारे के पीछे एक और दास्तान भी छिपी है जो मन को सुकून देती है। साथ ही इस खेती को खास श्रेणी देती है।आप यह जानकर शायद चौंक पड़ें कि यहां की इस सुनियोजित और वैज्ञानिक तरीके से हो रही खेती की पूरी कमान महिलाओं के हाथों में है। यहां के करीब एक दर्जन गांवों में महिला किसानों का बोलबाला है। इनकी खेती यहां पुरुषों पर भारी है। आज से कुछ साल पहले तक जो महिलाएं बकरी चरा कर अपना पूरा समय निकाल देती थीं वह अब दूसरे लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गई हैं। महिलाएं यहां बड़े पैमाने पर आलू, नेनुआ, झिंगी, करैला, मिर्चा, कद्दू, गोभी समेत अन्य सब्जियों का उत्पाद कर रही हैं।

लीज पर जमीन लेकर कर रहीं केले की भी खेती

महिलाओं ने यहां अपनी मेहनत और संकल्प के बूते पर मेहनत से सोना उगाकर दिखाया है। खेती करने के लिए जमीन नहीं थी तो लीज पर जमीन लेकर भी खेती की। खैरा गांव में महिलाओं ने 30 एकड़ बंजर भूमि को लीज पर लेकर केले की खेती शुरू की है। शुरुआत में ही इन्हें अच्छे परिणाम मिलने लगे हैं।

446 महिला किसानों का समूह कर रहा है काम

इन खेतों में 446 महिला किसानों का समूह काम कर रहा है। पिछले पांच साल से इन्हें सृजन फाउंडेशन के विशेषज्ञ आधुनिक तरीके से खेती का प्रशिक्षण दे रहे हैं। फाउंडेशन ने कृत्रिम खाद व दवाइयां बनवाने के प्रशिक्षण के साथ उसके निर्माण में भी महिलाओं को लगाया है। इन दवाओं के निर्मस्त्र, ब्रह्मास्त्र,आग्नेयास्त्र आदि नाम भी ध्यान खींचते हैं। कुल मिलाकर महिलाएं यहां पूरी तरह से सशक्त कृषक हैं। इस कार्य में जुटी महिला किसान कुमारी निक्की, चंदा देवी, पार्वती देवी, शीला देवी, विजय पांडेय, रीता देवी, उर्मिला देवी, गीता देवी, चंदा देवी, अनिता देवी, सुनीता देवी, संगीता देवी, सरस्वती देवी, पिंकी अब दूसरों को प्रेरित कर रही हैं।


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