मां ने नवजात को गंदे नाले में फेंक दिया, छात्राओं ने बचाई जान
गंदे नाले में फेंकी गई एक नवजात की दो बहादुर बेटियों ने जान बचा ली।
जासं, हजारीबाग। बेटियों को बोझ समझकर जन्म लेते ही मार देने या मरने के लिए छोड़ देने की घटनाएं नई नहीं हैं, लेकिन मारने वाली मानसिकता के बीच बचाने वाले भी कम नहीं। हजारीबाग के बरही में जीटी रोड के किनारे करियातपुर के पास गंदे नाले में फेंकी गई एक नवजात की जान बचाकर दो बहादुर बेटियों ने यह साबित कर दिया कि मारने वाले से ज्यादा बड़ा बचाने वाला होता है।
सुनहरे भविष्य के सपने लिए पढ़ाई के लिए घर से पैदल जा रही बरसोत गांव की सोमी खातून व नेहा कुमारी की नजर जब कचरे से पटी एक नाले में रोती बच्ची पर पड़ी तो इन बच्चियों की ममता जाग उठी। उस समय स्थानीय लोग तमाशबीन बने हुए थे। बेटियों ने बेटी के जीवन का मोल समझा और अपने दुपट्टे के सहारे बच्ची को उठाकर अस्पताल पहुंचाया। बरही अनुमंडलीय अस्पताल में चिकित्सा प्रभारी डॉ. प्रकाश ज्ञानी की देखरेख में उसका प्राथमिक उपचार करने के बाद आइसीयू के अभाव में उसे रेफर किया गया।
इसके बाद बेहतर इलाज के लिए छात्राएं स्थानीय लोगों की मदद से बरही में स्थित शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. एबरार के क्लीनिक ले गईं और वहां आइसीयू में भर्ती किया गया। चिकित्सकों ने बताया कि नवजात शिशु अब खतरे से बाहर है। बहादुरी के साथ नवजात शिशु को नाली से निकाल कर जान बचाने वाली बरसोत की रहने वाली बहादुर बिटिया नेहा कुमारी व सोमी खातून ने बताया कि वे दोनों बरही के आरएनवाइएम कॉलेज में सेमेस्टर वन की छात्रा हैं। दोनों ऑटो से बरही स्थित एक कोचिंग इंस्टीच्यूट जा रही थीं।
इस दौरान करियातपुर में उक्त स्थल पर उनका वाहन रुका तो देखा कि यहां भीड़ लगी थी, नवजात बच्ची का नाली में रो रो कर बुरा हाल था। कोई उसे बाहर नहीं निकाल रहा था। यह देख दोनों नाली में उतरीं और गंदे पानी व कचरे में लिपटी बच्ची को अपने दुपट्टे में लपेट कर उसे अस्पताल पहुंचाया। इसके बाद नवजात शिशु को गोद लेने के लिए कई लोग सामने आ गए। नवजात बच्ची की जान बचाने वाली छात्रा सोमी खातून की माता शबीना खातून व पिता मो. नौशाद भी उक्त नवजात बच्ची को गोद लेने का इच्छा व्यक्त कर रहे हैं।
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