विदेशों में अपनों को भी खो रहे विष्णुगढ़़ वासी, जानिए-कब से हैं फंसे
नौजवान बिचौलियों की मदद से विदेश पहुंच जाते हैं, लेकिन वहां की धरती पर पांव रखते ही उनके सपने हो जाते हैं चकनाचूर।
विकास कुमार, हजारीबाग। हजारीबाग का विष्णुगढ़ प्रखंड के लोगों के बीच विदेश जाने और अपने सपनों को साकार करने की होड़ लगी है। इसी होड़ में अब यहां के कई लोग बिचौलियों के शिकार हो रहे हैं। हाल यह है कि विष्णुगढ़ के कई नौजवान बिचौलियों की मदद से अपनी मंजिल तक तो पहुंच जाते हैं लेकिन, विदेश की धरती पर पांव रखते ही उनके सपने पल भर में ही चकनाचूर हो जा रहे हैं। हाल यह है कि पैसे कमाना छोड़ वे बस अपनी वतन वापसी की जद्दोजहद में लग जाते हैं।
मलेशिया में फंसे जेहल महतो
विष्णुगढ़ के खरना से जेहल महतो पिछले आठ साल से मलेशिया में फंसे हैं। वहीं, हाल चार साल से अपनी वतन वापसी का इंतजार में सउदी अरब में दर-दर की ठोकरें खा रहे सिरैय के शहजान अंसारी का है। शहजान का पासपोर्ट उसके काफिल के पास जब्त है। ऐसे सिर्फ दो मामले ही नही है। इसी तरह दर्जनों लोग काफी ठोकरें खाने के बाद बड़ी मुश्किल से अपने वतन लौट सके हैं।
2009 में जेहल महतो गया था मलेशिया, पासपोर्ट हो गया जब्त
2009 में विष्णुगढ़ गोरहर, बगोदर से जत्थे में जेहल महतो समेत 17 ग्रामीण मलेशिया पहुंचे थे। इन्हें टावर ट्रांसमिशन लाइन में काम करने के लिए बिचौलियों ने झांसा दिया। चार माह काम के बाद सभी को हटा दिया गया। दोबारा काम करने पर काम देने वाली एजेंसी ने इन्हें एक कमरे में बंद कर दिया। इस दौरान जेहल किसी तरह बच कर निकल गया था। कमरे में बंद 16 लोगों की वापसी तो दो साल बाद हो गई, लेकिन जेहल भटकता रह गया। उसका पासपोर्ट आज भी जब्त है।
पिता के नहीं आने पर टल रही बिटिया की शादी
उसकी पत्नी भगिया देवी के आंख के आंसू भी पति के इंतजार में सूख चुके हैं। बेटी की शादी तय है, लेकिन पिता के नहीं होने शादी भी टलती नजर आ रही है। परिजन कहां जाएं किससे मदद मांगे ये उन्हें समझ में नहीं आ रहा।
चालक बन सऊदी अरब पहुंचा था शहजान
विष्णुगढ़ के सिरैय का शहजान अंसारी भी चार साल से सऊदी अरब में फंसा है। यह वहां चालक बन अपने सपनों का पूरा करने गया था। वही भी काफिला के चंगुल से बाहर नहीं निकल पाया। पासपोर्ट भी काफिला के पास जब्त है। इसके एवज में 7000 रियाल की मांग की गई है। परिजन पैसे का जुगाड़ कर अपने शहजान की वतन वापसी में लगे हैं।
मलेशिया में फंसे थे 45 मजदूर, दो साल बाद हुई थी वापसी
मलेशिया में ही काम की तलाश में गए 45 मजदूरों का हश्र भी कुछ ऐसा ही हुआ था। दो साल तक वे काम की तलाश में भटकते रहे थे। बाद में इन्होंने हाथों में हथकड़ी लगे अपनी फोटो सोशल मीडिया में डाल कर मदद की गुहार लगाई थी। बड़ी मुश्किल से 15 अगस्त 2016 को इनकी वापसी हो सकी थी। इसमें विष्णुगढ़ के प्रखंड के बलकमका के उमेश महतो, गिरधारी महतो, गोविंदपुर के भोला पंडित, राजू पंडित, खरना के महावीर महतो एवं बकसपुरा के भोला महतो शामिल थे।
मौत के बाद भी शव के लिए 14 माह का इंतजार
विदेशों से अपनों को खोने के बाद उनके शव परिजनों तक बड़ी मुश्किल से पहुंच पाते हैं। 11 मई, 2015 को सउदी अरब में विष्णुगढ़ के टंडवा के अफसर की मौत हो गई थी। वह वहां पोकलेन ऑपरेटर था। लेकिन, उसका शव 14 महीने के बाद विदेश मंत्रालय की पहल के बाद पहुंचा था। 17 सितंबर, 2016 को यूरोप के जार्जिया में विष्णुगढ़ के चानो के दिनेश महतो की बीमारी से हुई थी। मौत के 20 दिन बाद शव गांव पहुंचा।
एक साल में बने 1600 पासपोर्ट, हर पंचायत से 100 से अधिक विदेशों में
विष्णुगढ़ में बिचौलियों ने जाल बिछा रखा है। प्रखंड के विष्णुगढ़ और चेडरा को छोड़ अन्य 22 पंचायतों में से प्रत्येक पंचायत से 100 से अधिक लोग विदेशों में हैं। हाल यह है कि पिछले वर्ष सिर्फ इस प्रखंड के लोगों ने 1600 पासपोर्ट बनाए हैं। इसकी गवाही विष्णुगढ़ थाने में मौजूद रिकार्ड दे रहा है। इन्हें ज्यादा पैसे कमाने की चाहत मलेशिया, श्रीलंका, सउदी अरब, जार्जिया जैसे देशों में भेजा जाता है। इसके लिए इनसे मोटी रकम वसूली जाती है।
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- जेहल महतो के बारे में सूचना मिली है। गृह मंत्रालय के माध्यम से इसकी सूचना दी गई है। किसी के साथ ऐसी कोई परेशानी आती है तो वे जिला प्रशासन को इसकी जानकारी दे सकते हैं। प्रशासन उनकी हर संभव मदद करेगा ।
-रविशंकर शुक्ला, उपायुक्त हजारीबाग
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