आधे घंटे व 11 रुपया में बंध जाता है जीवन डोर
मासूम अहमद, हजारीबाग : शादी विवाह का दूसरा नाम ही सामाजिक आडंबर बन गया है। हर कोई विशेष रूप से वधु प
मासूम अहमद, हजारीबाग : शादी विवाह का दूसरा नाम ही सामाजिक आडंबर बन गया है। हर कोई विशेष रूप से वधु पक्ष के लोग अपनी हैसियत से काफी अधिक खर्च करने को विवश हो जाते हैं। यही वजह है कि वधु पक्ष को इसके नाम से ही पसीने छूट जाते हैं। मगर जैसे-जैसे समाज में शिक्षा और जागरुकता का विकास हो रहा है वैसे-वैसे लोग सामाजिक बेड़ियों और आडंबरों से निजात पाना चाहते हैं। यही वजह है कि हाल के वर्षो में जटिल और सामाजिक आडंबरों की बेड़ियों के विरुद्ध कोर्ट मैरिज व विवाह निबंधन का प्रचलन बढ़ने लगा है। वहीं आज विदेशों में नौकरी को लेकर भी विवाह निबंधन को बल मिला है। पारंपरिक शादियों में लाखों, करोड़ों खर्च होता है साथ ही समय भी काफी लगता है। वहीं कोर्ट मैरेज व विवाह निबंधन आधे घंटे में मात्र 11 रुपए में हो जाता है। ऐसी शादियों के बढ़ते प्रचलन का अंदाजा जिला निबंधन कार्यालय में पिछले कुछ वर्षो में विवाह निबंधन की बढ़ती संख्या से हो जाता है। एक ओर वर्ष 2014 में हिंदू मैरिज एक्ट के तहत कुल 243 शादियां का निबंधन हुआ तो दूसरी ओर 2015 में यह संख्या बढ़कर 269 हो गई। वहीं इस अवधि में स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत धारा पांच और 15 में 108 शादियां हुई। हालांकि निबंधित शादियों की बढ़ती संख्या से यह निष्कर्ष भी शत-प्रतिशत नहीं निकाला जा सकता है कि लोग सामाजिक आडंबरों से पूरी तरह से निजात है। सामाजिक विकास के साथ साथ लोग विशेषकर युवा वर्ग सामाजिक, जाति-धर्म के बंधन से बाहर निकल कर शादियां करने लगे हैं। प्रेम विवाह की संख्या में बढ़ रही है। वहीं ग्लोबलाइजेशन के दौर में एक ओर युवाओं का विदेशों में रोजगार का रुझान बढ़ा है तो दूसरी ओर देश में ही असंख्य विदेशी और मल्टीनेश्नल कंपनियां पांव पसार रही हैं। ऐसे में विदेश यात्रा और निजी कंपनियों में रोजगार के लिए भी निबंधित विवाह जरूरी होता है। इन कारणों से लोग पारंपरिक शादियों के साथ निबंधित शादियां यानी कोर्ट मैरिज करने को बाध्य हो जाते हैं।
बढ़ रही अंतरजातीय विवाह की संख्या
एक ओर पारंपरिक शादियों की जटिलताओं से लोग बाहर निकलना चाहते हैं वहीं सामाजिक बंधनों से भी छुटकारा पाना चाहते हैं। यही वजह है समाज में अंतरजातीय विवाह की संख्या में बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है। वर्ष 2014 में साढे़ तीन सौ निबंधित शादियां हुई जिनमें 55 शादियां अंतरजातीय थीं। वहीं वर्ष 2015 में हुई 375 निबंधित शादियों में 68 अंतरजातीय थीं। वैसे सरकार द्वारा भी अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन योजना चलाती है। कल्याण विभाग द्वारा अंतरजातीय विवाह करने वालों को 25 हजार की राशि दी जाती है। वर्ष 2013 और 2014 में योजना के तहत जिले में लाभुकों की संख्या चार-चार थी। वहीं 2015 में पांच आवेदन आए थे।
कैसे होती हैं निबंधित शादियां
जहां तक निबंधित शादियों या कोर्ट मैरिज की बात है तो इसकी प्रक्रिया बेहद आसान है। सबसे पहले निबंधित शादियों का आवेदन जिला निबंधन कार्यालय में देना पड़ता है। इसके साथ दो रुपए 50 पैसे का शुल्क संलग्न किया जाता है। इसके साथ आवेदक की आयु तथा पता का प्रमाणपत्र भी संलग्न करना पड़ता है। बाद में शादी के दिन आठ रुपए का शुल्क लगता है। इसके अलावा वर व वधु के साथ दोनों पक्ष के तीन गवाह को उपस्थित होना पड़ता है। गवाह का पहचान पत्र भी जमा करना पड़ता है। आवेदन की तिथि के एक माह बाद निबंधित शादियां संपन्न हो जाती हैं।
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जिले में निबंधित शादियों की संख्या
वर्ष 2014 2015
हिंदू मैरिज 243 269
स्पेशल मैरिज एक्ट 108 108
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मात्र 11 रुपए में हो जाती है शादी : अवर निबंधक
इस संबंध में अवर जिला निबंधक सुभाष कुमार गुप्ता ने कहा कि वर्तमान समय में जबकि पारंपरिक शादियों में लोग लाखों, करोड़ों खर्च कर देते हैं। पैसा पानी की तरह बहाया जाता है। बेटियां बोझ बनती जा रही है वहीं निबंधित शादियां बेहद आसान और सस्ती है। निबंधित शादियां यानी कोर्ट मैरिज मात्र 11 रुपए में संपन्न हो जाती है। वैसे वर्तमान समय में निजी संस्थानों में नौकरी या विदेश यात्रा आदि के लिए भी निबंधित शादियां जरूरी होती हैं। ऐसे में पारंपरिक शादियों की जटिलताओं और सामाजिक आडंबरों से निजात पाने के लिए निबंधित शादियां सबसे बेहतर माध्यम हैं।