हजारीबाग के सौंदर्य पर टिका पीएम का मन
हजारीबाग में दीवारों पर की गई जो पेंटिंग राह चलते लोगों को बरबस रोक लेती है, उस पर प्रधानमंत्री की निगाहें भी टिक ही गईं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 'मन की बात ' कार्यक्रम में हजारीबाग के इस सौंदर्य की चर्चा की।
हजारीबाग [विकास कुमार]। हजारीबाग में दीवारों पर की गई जो पेंटिंग राह चलते लोगों को बरबस रोक लेती है, उस पर प्रधानमंत्री की निगाहें भी टिक ही गईं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 'मन की बात ' कार्यक्रम में हजारीबाग के इस सौंदर्य की चर्चा की। उन्होंने स्वच्छता के साथ सौंदर्य पर जोर दिया। अगर दोनों हो जाए तो सोने पे सुहागा। इसी क्रम में हजारीबाग रेलवे स्टेशन की चर्चा की, जिसकी दीवारों पर सोहराय की पेंटिंग है। कोहबर पेंटिंग भी। प्रधानमंत्री ने हजारीबाग रेलवे स्टेशन का उद्घाटन पिछले साल 20 फरवरी को किया था। इस मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने नरेंद्र मोदी को सोहराय कला की पेंटिंग भेंट की थी। इतने दिनों बाद इसका जिक्र ही यह अहसास कराने को काफी है कि वह पेंटिंग उनके मन में कहीं-न-कहीं बस चुकी है।
यह सब एक दिन में नहीं हुआ। स्वच्छ भारत अभियान के तहत हजारीबाग को साफ-सुथरा बनाने के साथ-साथ इसमें सौंदर्य का रंग भरने का ख्याल 22 बटालियन सीआरपीएफ कमांडेंट मुन्ना कुमार सिंह को सबसे पहले आया। इन्होंने दिन-रात एक कर रेलवे स्टेशन से लेकर शहर की दीवारों को सोहराय और कोहबर पेंटिंग से सजाने की मुहिम छेड़ी। मकसद था जनजाति समुदाय की समृद्ध विरासत को संजोए रखना और देश को इससे वाकिफ कराना। उपायुक्त मुकेश कुमार ने इसे अभियान के रूप में जारी रखने का बीड़ा उठाया। नारा दिया-'पेंट माई सिटी ' न सिर्फ स्टेशन बल्कि पूरे शहर की सरकारी दीवारें मानों कैनवास में तब्दील होने लगीं। शुरुआत उपायुक्त आवास से हुई। फिर लगभग तीन किलोमीटर तक फैली झील के चारों ओर हर दीवार पर यह पेंटिंग उकेरी गई। कलाकारों को काम भी मिला, पहचान भी। झील से लगभग पांच किलोमीटर दूर कनहरी हिल और एनएच 33 विनोबा भावे विश्वविद्यालय तक, आकाशवाणी परिसर तक सभी सरकारी दीवारों पर सोहराय और कोहबर कला स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण, प्रकृति प्रेम व जल संरक्षण का संदेश दे रही है। करीब पांच माह पूर्व से पेंट माई सिटी अभियान की शुरुआत के बाद प्रधानमंत्री का स्वच्छ भारत अभियान भी सफलता की ओर अग्रसर है। सीआरपीएफ कमांडेंट एमके सिंह इस पूरे अभियान के सूत्रधार रहे हैं।
'कम, कलर एंड कंट्रीब्यूट ' का नारा
इस अभियान को मुकाम तक पहुंचाने में प्रशासन ने जनसहयोग लिया। उपायुक्त ने नारा दिया- 'कम, कलर एंड कंट्रीब्यूट। ' निरंतर चलने वाला अभियान शहर की दिनचर्या हो गई। जिधर नजर दौड़ाएं विशेषकर महिला कलाकारों के हाथ में ब्रश और उनकी आंखें दीवारों पर। विदेश में अपनी कला का डंका बजा चुकीं रुकमणी देवी के साथ ग्रामीण कलाकार, स्कूली बच्चे सोहराय और कोहबर को सजाने संवारने में लगे रहते हैं। हजारीबाग सोहराय और कोहबर की सांस्कृतिक राजधानी रुप में चर्चित हो गया है।
विदेशों तक पहुंच चुकी है कला
यह कला आस्ट्रेलिया, जर्मनी समेत कई देशों तक अपनी पहचान बना चुकी है। इसके सूत्रधार रहे हैं हजारीबाग के ही प्रसिद्ध पर्यावरणविद् बुल्लू इमाम। उनके निजी संग्रहालय में सैकड़ों पेंटिग आज भी सुरक्षित हैं। रुकमणी देवी, सररवती देवी जैसी ग्रामीण महिलाएं इस कला को विदेशों में प्रदर्शित कर चुकी हैं। रुकमणी देवी के पति अखबार विक्रेता हैं और उन्हें इस काम में सहयोग देते हैं।
क्या है सोहराय कला
यह जनजातीय संस्कृति से जुड़ी कला है। जल, जंगल, जमीन, घर, पशु-पक्षी सब के बीच संतुलन दर्शाती है। इसमें स्वच्छता और पर्यावरण का मूल उद्देश्य निहित है। मिट्टी के बने घर को शुद्ध माना जाता है और इस पर की गई चित्रकारी हमेशा संदेश देती है। पशु धन का संवद्र्धन का संदेश भी सोहराय में है।
'यह कला सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के साथ-साथ प्राकृतिक संपदा को बचाने का संदेश देती है। हजारीबाग शहर सोहराय और कोहबर कला से जुड़ा था। ग्रामीण क्षेत्रों में अनेकों कलाकृतियां दीवारों पर देखी। मैंने कलाकारों को एक राह देने की कोशिश की, ताकि उनकी प्रतिभा कुंठित न हो जाए। '
मुन्ना कुमार सिंह, सीआरपीएफ कमांडेंट
'राज्य की सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने के मकसद से स्वच्छ भारत अभियान से जोड़कर एक मुहिम चलाने की कोशिश की गई है। जनजातीय संस्कृति की महक बरकारार रह सके इसके लिए 'कम, कलर एंड कंट्रीब्यूट ' का नारा देकर लोगों से जुडऩे की अपील की है। प्रधानमंत्री के मन की बात में इन कलाओं के जिक्र से हमारा उत्साह बढ़ा है। जरूरत है इस अभियान को अनवरत आगे बढ़ाने की ,ताकि भावी पीढ़ी अपने धरोहर पर गर्व कर सके। '
मुकेश कुमार, उपायुक्त हजारीबाग