मूल सुविधाओं से वंचित कस्तूरबा विद्यालय
सुनील श्रीवास्तव, बरकट्ठा : बरकट्ठा कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय मूलभूत सुविधाओं के लिए जुझ
सुनील श्रीवास्तव, बरकट्ठा : बरकट्ठा कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय मूलभूत सुविधाओं के लिए जुझ रहा है। प्रखंड के बालिकाओं के गिरते शिक्षण दर में सुधार के लिए वर्ष 2005 में आरंभ की गई कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय की स्थिति काफी दयनीय है। लगभग 54 लाख रुपये की वार्षिक बजट केबावजूद अब तक स्थापना काल से सभी छात्राएं जमीन पर बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं। वर्ष 2007 से लगभग चालीस लाख की लागत से बना भवन अब तक अधूरा है। जबकि सूद समेत भवन निर्माण समिति ने 41 लाख रुपये की निकासी की जा चुकी है कि वित्तीय अनियमितता का बड़ा उदाहरण है । दिलचस्प बात यह है कि विद्यालय के लेखापाल प्रेमचंद राम ने जानकारी दी है कि पिछले तीन सालों में विद्यालय के विभिन्न मदों से लगभग तीन लाख रुपये के अधूरे भवन मे खर्च किया जा चुका है। इसके बावजूद अबतक भवन अधूरा पड़ा हुआ है । इस विद्यालय मे कक्षा 6 से12 तक 262 छात्राएं नामांकित है । इनके भोजनादि के लिए मात्र एक रसोइया व एक हेल्पर है, जिसके लिए भोजन बनाना युद्ध लड़ने के बराबर है। असुविधाओं के बीच शिक्षण व्यवस्था के लिए वार्डन समेत तीन परियोजना के शिक्षिकाएं तीन पार्ट टाईम महिला शिक्षिकाएं तीन पार्ट टाईम पुरुष शिक्षक है जो कि गुणात्मक व कक्षा के मुकाबले कम है। पेयजल की किल्लत के कारण आए दिन छात्राओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है मात्र एक चापानल से सभी को नहाने पूरा स्कूल है। तो दूसरी तरफ इस चापाकल के पानी को भी पेयजल विभाग द्वारा प्रदूषित माना है। साथ ही उपायुक्त व अन्य अधिकारियों के समक्ष यह परेशानी लायी गई है। अब तक नतीजा सिफर ही रहा है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि विद्यालय में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव व समितियों तथा शिक्षिकाओं मे बेहतर सामंजस्य की कमी के कारण स्थिति खराब है ।
- भवन का मामला मेरे समय का नही है। अधूरे भवन के विषय में दर्जनों बार हमलोगों ने परियोजना को लिखा है, लेकिन कोई सुनवाई नही हुई। वही शौचालय व पेयजल के संबंध में उच्च अधिकारियों को भी समस्या बताई गयी थी। उन्होंने स्वयं इसका निरीक्षण किया था। छात्राओं के बेंच-डेस्क के लिए जिला से निर्देश मांगा गया है - सुषमा कुमारी, वार्डेन