कर्जन ग्राउंड में लोकनायक ने की थी सिंह गर्जना
प्रमोद, हजारीबाग : लोकनायक जय प्रकाश नारायण ने अपने जीवन काल में दो-दो बार गुलामी के खिलाफ लड़ाई लड़ी
प्रमोद, हजारीबाग : लोकनायक जय प्रकाश नारायण ने अपने जीवन काल में दो-दो बार गुलामी के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। पहली आजादी में उन्होंने अंग्रेजी साम्राज्य की नींव हिलाकर तब रख दी थी जब हजारीबाग सेंट्रल जेल से अपने पांच साथियों के साथ पलायन किया था। 9 नवंबर 1942 की रात जब पूरी दुनिया सो रही थी, उसी समय हजारीबाग में एक अमिट इतिहास गढ़ा जा रहा था। जेपी के साथ शालीग्राम सिंह, सूर्यनारायण सिंह, रामनंदन मिश्र, योगेंद्र शुक्ल और गुलाबी सोनार जैसे सेनानी ब्रिटिश हुकूमत को चुनौती देने का काम किया था और हजारीबाग की धरती इसका मूक गवाह बनी। केंद्रीय कारा की काली दीवारों पर आज भी वह चिन्ह मौजूद है। स्वतंत्रता आंदोलन के दरम्यान तो जेपी का हजारीबाग जेल में प्रवास हुआ था, लेकिन आजादी के बाद भी उन्होंने हजारीबाग से अपना संबंध हमेशा बनाए रखा। संपूर्ण क्रांति की ज्वाला जब तत्कालीन बिहार में प्रज्वलित हुई तो उसकी लौ से हजारीबाग भी आलोकित हुआ। 1974 के जेपी आंदोलन में सर्वाधिक छात्रों की गिरफ्तारी हजारीबाग से हुई थी। 16 अक्टूबर 1974 को जेपी ने स्थानीय कर्जन ग्राउंड में सिंह गर्जना की थी कि सिंहासन खाली करो कि जनता आती है। उस समय जेपी का प्रवास डीवीसी के सर्किट हाउस में हुआ था।
जेपी दलीय भावना से उपर उठकर व्यक्तिगत संबंधो का भी विशेष ख्याल करते थे। 1974 में ही बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हजारीबाग के निवासी कृष्णवल्लभ सहाय की मृत्यु हो गयी थी। हजारीबाग आगमन पर जेपी सबसे पहले खजांची तालाब रोड में निवास कर रहे स्व. सहाय के परिजनों से मुलाकात कर सांत्वना दी थी। आज भी जेपी के सेनानियों की एक विशाल फौज हजारीबाग में है जो अपनी तरूणाई गंवां कर समग्र क्रांति के यज्ञ को सफल बनाने में सब कुछ न्यौछावर कर दिया था। गौतम सागर राणा, स्वरूप चंद जैन, अशोक चौरसिया, अर्जुन यादव, अशोक यादव, हरीश श्रीवास्तव, मो. जावेद, गीता चौरसिया, डॉ. सुरेंद्र सिन्हा, भैया अरविंद जी सहाय, भैया गिरीश, अनिल प्रसाद, डॉ. विजय कुमार सिन्हा समेत कई सेनानियों के मस्तिष्क जेपी की स्मृति जीवंत है।