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500 करोड़ से अधिक का होता है अवैध पत्थर खनन

विकास/ अरविंद , हजारीबाग : हजारबागों के शहर हजारीबाग में पत्थर माफिया ने अपनी जड़ें काफी मजबूत कर ली

By Edited By: Published: Tue, 12 May 2015 09:34 PM (IST)Updated: Tue, 12 May 2015 09:34 PM (IST)
500 करोड़ से अधिक का होता है अवैध पत्थर खनन

विकास/ अरविंद , हजारीबाग : हजारबागों के शहर हजारीबाग में पत्थर माफिया ने अपनी जड़ें काफी मजबूत कर ली हैं। हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि इनका यह अवैध कारोबार सालाना 500 करोड़ रुपये के आंकडे़ को पार कर चुका है। इस बात की पुष्टि वैध रूप से खनन विभाग को मिलने वाला राजस्व करता है। विभाग को सिर्फ सात क्रशर और 48 खदानों से सालाना 115 करोड़ 39 लाख रुपए का राजस्व प्राप्त होता है। ऐसे में 400 से अधिक की संख्या में चल रहे अवैध क्रशर के अनुमानित राजस्व का अंदाज लगाया जा सकता है। जानकार इसे पांच सौ करोड़ से ऊपर का मामल बताते हैं।

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पुलिस की फाइलों में दर्ज है 450 प्राथमिकी

जिले में किस तरह अवैध उत्खनन कारोबार संचालित है इसका अंदाजा विभिन्न थानों में दर्ज प्राथमिकी से लगाया जा सकता हैं, जहां सिर्फ दो सालों में अकेले खनन विभाग ने 450 प्राथमिकी दर्ज कराई है। स्वयं जिला खनन पदाधिकारी नारायण राम प्राथमिकी की बात स्वीकार करते हैं। ये कार्रवाई क्षेत्र में चलने वाले कारोबार को प्रदर्शित करने के लिए काफी है कि किस कदर क्षेत्र में अवैध उत्खनन का धंधा चरम पर है। खनन विभाग द्वारा यह प्राथमिकी इचाक, पदमा, बरकट्ठा, विष्णुगढ़, टाटीझरिया, सदर तथा कटकमसांडी थाने में दर्ज कराई गई है।

इचाक है अवैध उत्खनन का गढ़

जिले में इचाक अवैध उत्खनन का गढ़ बन चुका है। यहां पत्थर माफिया इस कदर हावी हैं कि चाह कर भी कई बार अधिकारी इन पर कार्रवाई नहीं कर पाते। यहां तक कि एक वर्ष पूर्व नगवां में कार्रवाई के दौरान एसडीओ के साथ पत्थर माफिया ने अभद्र व्यवहार किया था, जिसके बाद एक क्षेत्रीय दल के नेता को जेल तक की हवा खानी पड़ी थी। अनुमान के मुताबिक यहां करीब 200 से अधिक क्रशर और 50 खदानें अवैध रुप से संचालित हो रही हैं। सफेद पोश से लेकर आम और वर्दीधारी से लेकर सरकारी सेवकों की सहयोग से फल फूल रहे यह धंधा क्षेत्र के लिए धीरे धीरे अभिशाप बनता जा रहा है। इचाक से लेकर बरही तथा चौपारण से लेकर विष्णुगढ़ के जंगली इलाकों में खुलेआम तस्कर दिनरात पत्थरों का उत्खनन कर रहे है। इससे राजस्व का तो नुकसान हो हीं रहा है, खनन भी अवैज्ञानिक तरीके से पर्यावरण के मापदंड के विरुद्ध हो रहा है। पेड़ों की पत्तियों पर धूल की सफेद परते चढ़ गई है। इनसे लगने वाले खेत तबाह हो रहे हैं। अकेले इचाक क्षेत्र में पांच हजार एकड़ उपजाऊ जमीन बर्बाद हो गया है। डुमरान, चुरचू, नगवां, साड़म, बोगा, विष्णुगढ़ के जमुनियां आदि क्षेत्र में रहने वाले आबादी खेत चौपट होने के कारण आज कई तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। जांच रिपोर्ट में सांस की तकलीफें, टीबी, दमा जैसे जानलेवा बीमारियां हर घर में दस्तक दे रही है। अवैध उत्खनन का यह धंधा धीरे-धीरे हिंसक भी होता जहां रहा है। अबतक दर्जन भर लोगों ने वर्चस्व की लड़ाई में अपनी जान गवां चुके है। हाल के दिनों में दो पत्थर व्यवसायी की हत्या सिर्फ वर्चस्व के लिए कर दी गई थी। इतना ही नहीं इन क्षेत्रों में गोलीबारी की घटनाएं आम हो गई। ये आंकड़े तो सरकारी फाईलों की है लेकिन सच इससे कहीं ज्यादा भयावह है।

- सरकार को वैद्य खदानों व क्रशर से 115 करोड़ का सालाना राजस्व प्राप्त होता है। जहां तक अवैध उत्खनन का सवाल है अब तक 450 प्राथमिकी दर्ज कराया जा चुका है। ऐसे खदानों की संख्या सैकड़ों में है। इन्हें चिन्हित किया जा रहा है। लेकिन उद्योग विभाग, वन एवं पर्यावरण और प्रदूषण बोर्ड से अपेक्षित सहयोग प्राप्त नहीं हो पा रहा है।

नारायण राम, जिला खनन पदाधिकारी


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