पूर्ण हुआ नहीं और टूट कर बिखर गया कुनबा
चौपारण : विलुप्तप्राय आदिम जनजाति बिरहोरों के कल्याण के लिए कई कार्य करने का दंभ भरने वाले कल्याण विभाग की लापरवाही का आलम चौपारण प्रखंड के चोरदाहा में निर्माणाधीन बिरसा मुंडा आवास की हालात को देखने से आभास हो जाता है। उक्त गाव में 10 नवंबर 2011 को बारह आवास बनने के लिए एकरारनामा हुआ। इसके तहत वीरेंद्र बिरहोर, प्रमेश्वर बिरहोर, बालदेव बिरहोर, लखन बिरहोर, भीखन बिरहोर, अकल बिरहोर, कैला बिरहोर, सरजू बिरहोर, बहादुर बिरहोर, इंद्र देव बिरहोर, राजकुमार बिरहोर, गंदोरी बिरहोर के लिए कल्याण विभाग द्वारा प्रति आवास एक लाख की लागत से दस लाख अस्सी हजार की राशि निर्गत की गई।
आवास पूर्ण करने की तिथि 31 जनवरी 2012 निर्धारित की गई थी। परंतु राशि निर्गत होते ही आवास बनाने के नाम से ऐसा हाई वोल्टेज ड्रामा आरंभ हुआ कि जो भवनों के वर्तमान हालत देख कर ही पता चलता है।
अभियंता व बिचौलिए की भेंट चढ़ी आवास योजना
योजना का हाल देखकर कल्याण विभाग की कार्यशैली पर तरस आती है। पूरी योजना अभियंता व बिचौलियों की भेंट चढ़ कर रहा गई है जिसका खामियाजा आज बिरहोर परिवारों को भउगतना पड़ रहा है।
बिरसा आवास के नाम पर जमकर अनियमितता की गई है। पर्यवेक्षण के अभाव में निर्माण में घपला किया गया है। दरअसल योजना पूर्ण हुआ नहीं है और कुनबा टूटकर बिखर गया। आवास के लिए लगे ईंट से लेकर हर सामान निम्न श्रेणी का लगा है। छत पर लगाए गए शीट तो इतने कमजोर थे कि वर्षा की हल्की फुहार भी सह नहीं सका। फलत: पूरी तरह टूटकर नीचे आ गया। हालांकि निर्माण पूर्ण होने के पूर्व ही इसमें बिरहोरों को रहने दे दिया गया। अब आलम यह है कि वर्षा होने पर इतनी दयनीय स्थिति हो जाती है कि बिरहोर मजबूरी में कुरहा में रहने लगते हैं।
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भवन का निर्माण लाभुक समिति के द्वारा होना था। यदि निर्माण में अनियमितता बरती गयी है तो कोताही बर्दाश्त नहीं की जायेगी। मैं स्वयं आकर निरीक्षण करुंगा।
-रतीश सिंह ठाकुर, जिला कल्याण पदाधिकारी, हजारीबाग