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खबरें विभावि की ..... परिश्रम और दृष्टिकोण का संयोग है शोध

By Edited By: Published: Sat, 20 Sep 2014 11:01 PM (IST)Updated: Sat, 20 Sep 2014 11:01 PM (IST)
खबरें विभावि की ..... परिश्रम और दृष्टिकोण का संयोग है शोध

हजारीबाग : शोध की शुरूआत फसाना के रूप में होती है, जो कठिन मेहनत व दृष्टिकोण के सुखद संयोग से हकीकत के रूप में विकसित होता है। उक्त बातें विभावि प्रतिकुलपति डॉ. मनोरंजन प्रसाद सिन्हा ने शोध कार्य के लिए राजभवन से प्राप्त आदेश के आलोक में अपनी प्रतिबद्धता दुहराते हुए कही। मालूम हो कि वर्ष 2009 में राजभवन ने शोध कार्य में कई अनिवार्यताओं को जोड़ा है। तय किया है कि शोध निदेशक अब कुल 12 परीक्षकों के नाम परीक्षा विभाग को प्रेषित करेंगे, जिसमें चार विदेशी विश्वविद्यालयों के व 12 देशी विश्वविद्यालयों के परीक्षक होंगे। परीक्षा विभाग तय करेगा कि उनमें से दो परीक्षक कहां-कहां से होंगे। शोध की भाषा संबंधी बाध्यताओं के संदर्भ में प्रतिकुलपति डॉ. सिन्हा ने कहा कि कंप्यूटर युग में ऐसे-ऐसे सॉफ्टवेयर हैं जो एक क्लिक में तत्काल अनुवाद परोस देते हैं। उन्होंने विगत शुक्रवार को विभावि में आयोजित शोध पात्रता परीक्षा के आलोक में बताया कि यूजीसी शोध कार्य के प्रति प्ररेक की भूमिका में है। गौर तलब कि शोध पात्रता परीक्षा में कुल 1652 के विरूद्ध 1520 परीक्षार्थियों ने शिरकत की थी। बताते चलें कि प्रतिकुलपति डॉ. सिन्हा फिलवक्त ग्रीन व व्हाईट नैनो पार्टिकल शोध विषय में सक्रिय हैं। इस विषय में डॉ. सिन्हा को इकलौता शोध निदेशक माना जाता है।

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मृत्युदंड के पक्ष-विपक्ष में हुई बहस

जासं, हजारीबाग : यूनिवर्सिटी लॉ कॉलेज में शनिवार को मृत्युदंड कितना जरूरी विषयक संगोष्ठी में छात्रों ने बेबाकी से अपने विचार रखे। किसी ने संगीन अपराधों के लिए मृत्यु दंड को अनिवार्य बताया तो किसी ने मानवाधिकार का हवाला देते हुए इसे समाप्त करने की वकालत की। यह भी कहा गया कि मृत्युदंड निर्धारण प्रक्रिया में राजनीति भी आड़े आने लगी है तो स्वतंत्र न्यायपालिका के क्षेत्र में गैर जरूरी हस्तक्षेप है। मालूम हो कि दिल्ली के रंगा-बिल्ला के खिलाफ निर्धारित मृत्युदंड के बाद मृत्यु दंड का सिलसिला लगभग थम सा गया था। इंदिरा गांधी के हत्यारे बेअंत सिंह को लंबे अंतराल के बाद फांसी दी गयी थी। इसके बाद कोलकाता के धनंजय चटर्जी को यह सजा दी गयी थी। फिर तो मृत्यु दंड का सिलसिला शुरू हो गया, जिसकी जद में आतंकवादी अफजल गुरू व कसाब तक आये। फिलवक्त यह विषय बहस का मुद्दा बन चुका है। संगोष्ठी को प्रतिकुलपति डॉ. मनोरंजन प्रसाद सिन्हा, निदेशक डॉ. राजेश कुमार व प्राचार्य प्रो. जयदीप सान्याल ने भी संबोधित किया, जिसमें दर्जनों विद्यार्थी व शिक्षक-शिक्षकेतर मौजूद थे।

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समय का जन्म 14 अरब वर्ष पूर्व हुआ

फोटो - 13 - अपने विचार रखते प्रो. सुंदर सिंह

हजारीबाग : 14 अरब वर्ष पूर्व हुए प्राकृतिक महाविस्फोट के बाद समय व द्रव की उत्पति इस ब्रह्मांड में हुई। यह बात भौतिकी के सेवानिवृत शिक्षक प्रो. सुंदर सिंह ने स्नातकोत्तर भूगर्भ विज्ञान विभाग में शनिवार को 'समय की अवधारणा' विषयक संगोष्ठी में कही। आगे कहा कि 14 अरब वर्ष बाद तक ब्रह्मांड का फैलाव होगा। इसके बाद पुन: संकुचन प्रारंभ हो जायेगा। उन्होंने समय सारिणी व टाईम मशीन के फलसफे को भी स्पष्ट किया। संगोष्ठी को प्रो. रामप्रिय प्रसाद विभागाध्यक्ष डॉ. सुबोध कुमार सिन्हा व डॉ. विपिन कुमार ने भी संबोधित किया जहां दर्जनों विद्यार्थी व शिक्षक मौजूद थे।

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बीएड कॉलेज में मना शिक्षक दिवस

फोटो - 15 - कार्यक्रम में मौजूद विद्यार्थी

हजारीबाग : हिंदी हिन्दुस्तान की आत्मा की भाषा है। अन्य भारतीय भाषाएं राजकीय बीएड कॉलेज के प्राचार्य केदार नाथ दुबे ने शनिवार को कॉलेज में आयोजित हिंदी दिवस समारोह में बतौर अध्यक्ष संबोधन में कहीं। इस मौके पर विश्व ओजोन दिवस अभियंता दिवस व लोकतंत्र दिवस भी मनाया गया। मंच संचालन संतोष कुमार व पुष्पा कुमारी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. मनोज कुमार ने किया। समारोह में दर्जनों शिक्षक व विद्यार्थी मौजूद थे।


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