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श्री विधि की ओर उन्मूख हुए केरेडारी के किसान

By Edited By: Published: Mon, 18 Aug 2014 07:21 PM (IST)Updated: Mon, 18 Aug 2014 07:21 PM (IST)
श्री विधि की ओर उन्मूख हुए केरेडारी के किसान

गेंदो वर्मा, केरेडारी : प्रखंड के किसान अब तक पारंपरिक विधि से धान व मक्के की खेती किया करते थे। लेकिन हाईब्रीड धान बीज आने के बाद अब किसान श्री विधि तकनीक से खेती में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। प्रखंड के एक दो नहीं दर्जनों गावों के किसानों ने इस वर्ष श्री विधि तकनीक से खेती प्रारंभ कर दी है। फिलहाल प्रखंड के करीब 40 हेक्टेयर भूमि पर धान व दर्जनों एकड़ में मक्का की खेती श्री विधि से की जा रही है। प्रखंड कृषक सलाहकार मो. इसरायल व रियासत मिंया के अनुसार प्रखंड के पहरा, बेलतु, कंडाबेर, हेवई, मनातु, लाजीदाग, बकचोमा समेत दर्जनों गावों के किसानों ने श्री विधि अपना लिया है। इस विधि से खेती करने में मुख्य रूप से प्रखंड कृषि पदाधिकारी अनिश अहमद, बीटीएम नदीम जावेद समेत दर्जनों कृषक मित्रों का सहयोग है। खेती में नई तकनीक को प्रोत्साहित करने के लिए गांव में कृषक पाठशाला

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भी खोला गया है।

-क्या कहतें हैं किसान -

प्रखंड के ग्राम पहरा के किसान श्री विधि खेती करने में सबसे अव्वल हैं। यहा के दर्जनों किसानों ने एक किसान कल्ब का गठन भी किया है। कल्ब में अध्यक्ष रामटहल साव, सचिव ईश्वरी साव, कोषाध्यक्ष मुसलिम मियां समेत 20 सदस्य हैं। इसमें 15 पुरूष व 5 महिलाएं हैं। यहा के किसान टिकेश्वर साव, जगन साव, मेंहदी हसन, उमत आरा, देवन्ति देवी, खिरोधर साव, ईश्वरी साव, रामटहल साव, तापेश्वर कुमार कहते हैं कि प्रखंड में हजारीबाग आत्मा के सौजन्य से होली क्रॉस कृषि विज्ञान केंद्र, नाबार्ड भारत सरकार की ओर से संचालित कृषि योजनाओं के द्वारा हम किसानों को बहुत लाभ हुआ है। हमलोगों को हजारीबाग के डेमोटाड आदि कृषि केंद्रों में कई बार प्रशिक्षण दिया गया है। गाव में कृषक पाठशाला से भी जानकारी दी जाती है।

-श्री विधि खेती से लाभ -

पहरा के किसान बताते हैं की श्री विधि खेती में बीज, पानी, मजदूर कम लगता है और पैदावार करीब दोगुना होती है। पंक्तिबद्ध तरीके से लगाने पर घास के निराई व निर्धारित मात्रा से उर्वरक आदि देने में भी सुविधा होती है। वहीं होली क्रॉस द्वारा मिला कोलीविडर से घास हटाने में सुविधा होती है।

कैसे कर रहे खेती : किसानों ने बताया की खेतों में बिचडे़ डालने से पूर्व बीजों को नमक का घोल तैयार कर उपचार कर लेते हैं। फिर बिचडे़ को मात्र 10 -11 दिनों में ही खेतों में पंक्तिबद्ध तरीके से बुआई करते हैं। उर्वरक का इस्तेमाल एक एक पखवारे में करते हैं। अभी अन्य तरीके से लगाए गए फसलों की अपेक्षा श्री विधि तरीके से किया पौधे अधिक विकसित हैं।


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