साई नर्सिग होम का नहीं है निबंधन
नियमों की अनदेखी कर प्रशासनिक मिलीभगत से चल रहा नर्सिग होम
संस, हजारीबाग : प्रसूता की मौत के मामले को लेनदेन कर रफादफा करने वाला साई नर्सिग होम निबंधित ही नहीं है। स्वास्थ्य विभाग के पास निबंधित नर्सिंग होम की सूची में इसका नाम नहीं है। करीब दस बेड का यह अस्पताल हजारीबाग में पिछले दो साल से चल रहा है। सदर अस्पताल से महज चार सौ मीटर दूर यह अस्पताल प्रशासनिक मिलीभगत से नियमों की अनेदेखी कर चलाया जा रहा है। वहीं पूरे मामले में पैसे देकर अपनी गर्दन बचाने वाले डाक्टर अर्जुन कुमार की डिग्री पर भी कई लोग सवाल उठाते रहे हैं लेकिन सच क्या है यह स्वास्थ्य विभाग पुलिस ही बता सकती है। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार नर्सिग होम ने कमीशन पर सदर अस्पताल में आदमी छोड़ रखा है। जो मरीजों को बहला फुसलाकर साई नर्सिग होम ले जाते हैं। इधर मंगलवार की घटना के बाद से साई नर्सिग होम में ताला पड़ा है। डाक्टर से लेकर स्टॉफ तक कोई किसी का फोन रिसीव नहंी कर रहे है।
सात हजार है एक यूनिट खून चढ़ाने का रेट
साई नर्सिंग होम में आने वाले मरीजों की माने तो नर्सिग होम में आने वाले लोगों को एक बोतल खून के लिए सात हजार रुपए देने पड़ते है। कई बार ऐसा मौका आया जहां हो हंगामा के बाद प्रबंधन को पैसा का लेनेदेन कर अपने आप को बचाना पड़ा।
प्रसूता के परिजन बार बार कह रहे थे स्थिति बताने को
गंभीर स्थिति में भर्ती प्रसूता की स्थिति को देखते हुए परिजन बार बार डाक्टर से मरीज की स्थिति देखकर जानकारी ले रहे थे। कह रहे थे लेकिन डाक्टर साहब ने एक न सुनी। हर बार कहते रहे मामला संभल गया है। ठीक हो जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।