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अरबों का चुना लगाने वाले वारिश ग्रुप पर होगी प्राथमिकी

By Edited By: Published: Thu, 24 Jul 2014 08:32 PM (IST)Updated: Thu, 24 Jul 2014 08:32 PM (IST)
अरबों का चुना लगाने वाले वारिश ग्रुप पर होगी प्राथमिकी

अरविन्द राणा/ हरि प्रकाश, हजारीबाग : जिले भर से हजारों लोगों को कम समय में मोटी रकम देने के लालच दे करोड़ों रुपए लेकर फरार वारिश ग्रुप ऑफ कंपनी पर जिला प्रशासन प्राथमिकी दर्ज कराएगी।

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आरबीआई द्वारा वारिश गु्रप ऑफ कंपनी के उपर बैन लगाने संबंधी पत्र प्राप्त होते ही उपायुक्त सुनील कुमार के निर्देश एसडीओ जुगनू मिंज ने प्राथमिकी की तैयारी प्रारंभ कर दी है। गुरुवार को इस बाबत जानकारी देते हुए एसडीओ जुगनू मिंज ने कहा कि प्रशासन पूरे मामले पर नजर रख रही है। किसी भी हाल में ऐसे चिट फंड कंपनी को लूट की छूट करने का मौका नहंी मिलेगा।

क्या है मामला

वारिश गु्रप ऑफ कंपनी झारखंड व बिहार में वर्ष 2009-10 से दर्जन भर से भी अधिक कंपनियां के नाम पर कारोबार संचालित कर रही थी। जिनका काम मोटी कमीशन देकर एंजेट के माध्यम से पैसा बनाना था। मोटी रकम आते ही कंपनी चंपत हो जाती थी। फिर उसी स्थान पर नई कंपनी स्थापित कर दिया जाता था। साल छह माह में कंपनी का नाम बदलकर नया धंधा स्थापित करना इनकी पालिसी थी। कंपनी अहमद आने वारसी और उसके परिजन ही संचालित करते थे। वर्ष 2011 में विभिन्न नाम पर ठगी करने की शिकायत मिलने पर आरबीआई ने वारिश ग्रुप ऑफ कंपनी उर्फ आर्शदीप कंपनी उर्फ वारिस ग्रोथ, वारिस तथा वारसी ग्रुप कंपनी पर नाम बदलकर काम करने के आरोप में लाईसेंस निलंबित कर दिया था, जांच टीम ने इसकी पुष्टि करते हुए वर्ष 2012 तथा 2013 में यह प्रतिबंध जारी रखते हुए वारिश ग्रुप उर्फ अर्शदीप फाईनेंस लिमिटेड को बैंक के लिखित पूर्वानुमति के बिना जनता से जमा - राशियां स्वीकार करने तथा अपनी संपत्ति और अस्तियों को बेचने, हस्तांरित करने, भार सृजित करने, बंधक रखने, अथवा किसी भी रुप कारोबार करने से स्पष्ट रुप से मना कर दिया था। इतना ही नहीं कंपनी ने कंपनी को ताकिद करते हुए किसी तरह से भी जनता से जमा राशि स्वीकार करने पर प्रतिबंध लगाया था। परंतु प्रतिबंध के बावजूद वारिस ग्रुप ऑफ कंपनी का धंधा चलता रहा। नाम बदलने की शुरुआत 2008 से हुई जब आर्शदीप के साथ साथ वारिस फाईनेंस इंटरनेशनल बना। 2010 में वारिस टेलीकाम इंटरनेशनल, 2011 में वारिस फाइनेंस व इन्वेस्टमेंट लिमिटेड, इसी तरह वारिस हॉस्पीटल, वारिस हेल्थ केयर, वारिस कैपिटल, वारिस फुड एंड वेबरेज, वारिश हिमगीरी प्राइवेट लिमिटेड, वारिस माइक्रो फाइनांस, वारिश टेल इंटरनेशनल आदि कई नामों से इनका अभियान चलता रहा। ाम से व्यवसाय करता रहा। सूत्रों से प्राप्त खबर के अनुसार वारिश गु्रप ऑफ कंपनी उर्फ आर्शदीप फाइनेंस लिमिटेड ने निवेशकों को डेढ़ अरब रुपए का चुना लगाया। इसके अलावा मंथली खाता, फिक्स्ड डिपोजिट, आदि कई योजनाएं चलाकर लोगों से बेहिसाब पैसा इक्ट्ठा किया। इतना ही नहीं वारिश गु्रप ने लोगों को लुभाने के लिए अखबार की दुनिया में भी कदम रखा और साप्ताहिक वारिश न्यूज ऑ‌र्ब्जवर के नाम से अखबार निकाला प्रारंभ कर दिया। वारिश गु्रप ने वारिश प्रोडयूसर नाम के फिल्म कंपनी शुरू कर वहां भी लोगों को चुना लगाना प्रारंभ कर दिया।


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