मेक्सिकन बीटल कर रहे पार्थेनियम उन्मूलन
प्रमोद, हजारीबाग : पार्थेनियम उन्मूलन में अब तक मैन पावर का ही सहारा लिया जा रहा था। हाथों से गाजर घास के पौधे उखाड़कर उसे नष्ट कर दिया जाता था। लेकिन अब कुदरत का एक और करिश्मा सामने आ गया है। प्रकृति स्वयं संतुलन स्थापित करने के क्रम में कीड़ों के माध्यम से गाजर घास के पौधों को नष्ट करवा दे रही है।
दरअसल मैक्सिकन बीटल जिसका नाम जाइगोग्रामा बाइकोलोराटा है, उसकी विशेषता है कि गाजर घास के पौधे को चट कर जाता है। इसके प्रजनन का काल जुलाई अगसत महीना है तथा इसके पौधे पर रख दिया जाता है। सप्ताह भर के भ्रीतर पूरा पौधा समाप्त हो जाता है।
कृषि वैज्ञानिक डॉ. आरके सिंह तथा डॉ. डीके राघव ने बताया कि ब्रिडींग की प्रक्रिया काफी आसान है, जिस पौधे पर यह कीड़ा बैठा मिले उस पौधे के डाल को काटकर ड्रम में रख दें। कुछ ही दिनों में कीड़े सैकड़ों की संख्या में हो जाएंगे। जिसे पुन: गाजर घास पर छिड़क दें। प्राकृत्तिक रूप से नियंत्रण का यह सबसे बेहतरीन तरीका है। पार्थेनियम उन्मूलन में विशेष रूचि रखने वालों में सीआरपीएफ के कमांडेंट एमके सिंह ने बताया कि झील, विश्वविद्यालय परिसर के अलावा कई जगहों पर उन्होंने कीड़ों का प्रजनन करवाकर छिड़काव किया है तथा उन्मूलन में सफलता पायी है। जैसे-जैसे जागरूकता बढ़ेगी, गाजर घास विनष्ट हो जाएगा।