चुनाव - आज ईवीएम में कैद होगी दिग्गजों की तकदीर
जासं, हजारीबाग : 16 वीं लोकसभा चुनाव के प्रत्याशियों का भाग्य गुरुवार को ईवीएम में कैद हो जाएगा। 16 मई को मतदाताओं का निर्णय तमाम लोगों के सामने आएगा, तब तक सभी के दिलों की धड़कन अलग कहानी कहती रहेगी।
हजारीबाग लोकसभा चुनाव क्षेत्र से कुल बीस प्रत्याशी मैदान में हैं। इसमें कई ऐसे प्रत्याशी है जो पहली बार चुनावी में उतरे हैं तथा कई प्रत्याशी सांसद, विधायक रह चुके है। प्रस्तुत है प्रमुख प्रत्याशियों के दावे-प्रतिदावे और उनकी ताकत।
ईमानदार, विनम्र व मृदुभाषी होना जयंत की ताकत
जयंत सिन्हा : भाजपा - फोटो - 27
भाजपा प्रत्याशी जयंत सिन्हा पहली बार मैदान में उतरे हैं। इसके पहले उनके पिता यशवंत सिन्हा तीन बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। आईआईटी दिल्ली से इंजीनियरिंग और हावर्ड यूनिवर्सिटी अमेरिका से एमबीए करने वाले जयंत की छवि साफ- सुथरे, ईमानदार, विनम्र व मृदुभाषी नेता की है। उनकी यही ताकत चुनावी लड़ाई में उन्हें अलग पहचान देती है। उनके पिता यशवंत सिन्हा के अनुभव तथा मंगलवार को नमो की रैली में मिला आशीर्वाद उनकी ताकत बढ़ा रहा है। मोदी फैक्टर का लाभ उन्हें मिलता दिख रहा है।
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हर गली में पहचान सौरभ की विशेषता
सौरभ नारायण सिंह : कांग्रेस - 26
कांग्रेस प्रत्याशी सौरभ नारायण सिंह दूसरी बार लोकसभा के चुनाव में उतरे हैं। सदर विधान सभा से दूसरी बार जीत दर्ज करने वाले सौरभ की यह बड़ी ताकत है कि उन्हें परिचय के लिए मोहताज नहीं होना पड़ रहा। दिल्ली विश्वविद्यालय तथा आस्ट्रेलिया के पर्थ से एमबीए करने वाले सौरभ पिछली बार मात्र 41 हजार वोटों से हारे थे। इस बार चुनाव में कांग्रेसी नेताओं की एकजुटता में कमी उनके सामने परेशानी खड़ी कर रही है। लेकिन झामुमो व राजद के गठबंधन से कुछ बल अवश्य मिल राह है।
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ईमानदार छवि और सुदेश पर भरोसा
लोकनाथ महतो - आजसू पार्टी - 25
तीन बार बड़कागांव विधानसभा का प्रतिनिधित्व करने वाले भाजपा के दिग्गज नेता लोकनाथ महतो इस बार आजसू पार्टी के टिकट पर चुनावी अखाड़े में ताल ठोंक रहे हैं। ईमानदार, मृदुभाषी तथा किसान पृष्ठभूमि से आए लोकनाथ महतो को पहचान की जरूरत नहीं है। उन्हें जातीय ध्रुवीकरण के लाभ की उम्मीद है। लोकनाथ के लिए पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश महतो भी मैराथन दौड़ लगा रहे हैं।
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शैक्षणिक मोटिवेटर की ख्याति और बाबूलाल का भरोसा
एके मिश्रा - झाविमो - 24
झाविमो प्रत्याशी एके मिश्रा कोचिंग संस्थान चलाते-चलाते एकाएक चुनावी समर में कूद पड़े। वे देश- विदेश में शैक्षणिक मोटिवेटर के रूप में विख्यात हैं। पहली बार चुनाव लड़ रहे एके मिश्रा का संबल पढ़े-लिखे युवक हैं। झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी का तूफानी दौरा पर उन्हें पूरा भरोसा है। उनके संस्थान के निदेशक विनय मिश्रा के साथ उप प्रबंधक रीमा मिश्रा लगातार क्षेत्र भ्रमण कर रही हैं। उन्हें विश्वास है कि मतदाताओं का आशीर्वाद जरूर मिलेगा।
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मजदूर-किसान हैं भुवनेश्वर की ताकत
भुवनेश्वर प्रसाद मेहता : भाकपा
सीपीआई प्रत्याशी भुवनेश्वर मेहता चुनावी दंगल के पुराने खिलाड़ी है। पूर्व में वे दो बार विधायक तथा दो बार सांसद भी रह चुके है। मजदूरों-किसानों के हित में अनवरत संघर्ष उनकी ताकत है। लेकिन उनकी ओर से यह कहा जाता है यह अंतिम चुनाव है, मतदाताओं को कुछ सोचने पर मजबूर कर दे रहा है। फिर भी चुनाव में अपनी ताकत का एहसास कराने से वे चूक नहीं रहे।