सीएनटी-एसपीटी एक्ट संशोधन वापस ले सरकार
रायडीह: सीएनटी व एसपीटी एक्ट सहित स्थानीय नीति के खिलाफ जागरूकता मंच ने गुरुवार को रायडीह में जुल
रायडीह: सीएनटी व एसपीटी एक्ट सहित स्थानीय नीति के खिलाफ जागरूकता मंच ने गुरुवार को रायडीह में जुलूस निकाला और सभा की। सभा को संबोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता एलडी फोन्स ने कहा कि सीएनटी व एसपीटी एक्ट आदिवासियों के लिए बाउंड्री वाल की तरह है। इसे सरकार तोड़ना चाहती है और बाहरी लोगों को अंदर लाना चाहती है। स्थानीय गरीब मूलवासियों का भी हक अधिकार छिना जा रहा है। जिसका विरोध किया जाएगा। सीधे साधे आदिवासियों की आवाज को दबाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह दबेगा नहीं बल्कि ¨चगारी बन अग्नि का रूप धारण करेगा। फोन्स ने कहा कि सरकार जबतक इस संशोधन को वापस नहीं लेगी, हमारा आंदोलन चलता रहेगा। मानवाधिकार कार्यकर्ता सह लेखक ग्लैडसन डुंगडुंग ने कहा कि सरकार के कहने और जमीनी हकीकत में अंतर है। इस क्षेत्र के विकास के लिए 1950 से 1995 तक 14 लाख 99 हजार हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण कर चुकी है और विकास के नाम पर सिर्फ विस्थापन ही हुआ है। हर साल 15 हजार करोड़ खनिज का उत्खनन होता है उसकी आमदनी का खर्च कहां जाता है। भूमि अधिग्रहण, पुर्नवास, पुर्नस्थापन कानून 2013 की धारा 10 के तहत कृषि योग्य भूमि का अधिग्रहण नहीं करना है। यदि करते हैं तो भूस्वामी को भूमि के बदले भूमि और मुआवजा देने का प्रावधान है। सरकार इससे बचने के लिए ये संशोधन विधेयक लायी है। स्थानीय नीति पर झारखण्ड हाई कोर्ट के अनुसार स्थानीय नीति में भाषा संस्कृति परम्परा को दर्शाना है। पर यह सब सरकार ने शामिल नहीं किया है। सिर्फ बहरी लोगों को फायदा देने के लिए संशोधन किया गया है। श्री डुंगडुंग ने कहा असम में 1885 से झारखण्ड के आदिवासी रह रहे हैं। फिर भी उन्हें स्थानीयता का दर्जा नहीं मिला, तो झारखण्ड में बाहरी को क्यों स्थानीय माना जा रहा है। डॉ करमा उरांव ने कहा आदिवासियों को जल जंगल और जमीन से बेदखल होने नहीं देंगे। पूर्व विधायक देव कुमार धान ने कहा कि आदिवासियों का शोषण नहीं होने दिया जायेगा। सरकार को संशोधन वापस लेना होगा। इसके पूर्व नवागढ़ पंचायत भवन से महिला पुरुषों ने जुलुस निकाला और जमकर सरकार विरोधी नारे लगाए। सीएनटी एसपीटी एक्ट में संशोधन वापस लो,स्थानीय नियोजन नीति रद करो, सरना कोड लागू करो के नारे लगाये गए। इस अवसर पर राजकुमार धान, चुमनु उरांव, अनूप फ्रांसिस कुजूर, चुइंया कुजूर, सतीश लकड़ा, खोरस केरकेट्टा,बासिल तिर्की,मनोज एक्का, विनय भूषण टोप्पो, रामरेश्वरी उरांव, रो•ा खाखा, रामावतार भगत, सुनील उरांव, एलिसियुस ¨मज, बिशु मुण्डा, मुकुन्द भगत, खुदी भगत दुखी, गोविन्दा टोप्पो, महेश केरकेट्टा आदि उपस्थित थे।