विकास की बाट जोह रहे पुरातात्विक धरोहर
गुमला : गुमला जिला पुरातात्विक व पौराणिक महत्व की दूष्टिकोण से झारखंड में खास स्थान रखता है। लेकिन स
गुमला : गुमला जिला पुरातात्विक व पौराणिक महत्व की दूष्टिकोण से झारखंड में खास स्थान रखता है। लेकिन सरकार द्वारा इन स्थलों का कायाकल्प कर पर्यटन के रूप में विकसित करने की योजना पर काम शुरू नहीं हो पा रहा है। लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व तत्कालीन कला, संस्कृति व युवा कार्य विभाग की मंत्री गीताश्री उरांव की पहल पर जिले के सिसई प्रखंड में स्थित नवरत्नगढ़ किला, डुमरी प्रखंड के टांगीनाथ धाम, पालकोट प्रखंड में रोपवे निर्माण व आंजन धाम को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना तैयार की गई थी। इन चारों स्थलों को विकसित करने के लिए डीपीआर भी बनाने काम शुरू किया गया था। कला, संस्कृति व युवा कार्य विभाग सिसई के नवरत्नगढ़ किला के विकास के लिए पुरातात्विक विभाग के निर्देश पर 3.27 करोड़ का डीपीआर तैयार कराया गया एवं जिला को कार्य शुरू कराने के लिए 2.82 करोड़ रुपये की राशि भी उपलब्ध कराते हुए भवन निर्माण विभाग द्वारा कार्य की निविदा निकाल कार्य शुरू कराने का निर्देश भी छह माह पूर्व दिया जा चुका है। लेकिन विभाग द्वारा आज तक निविदा का प्रकाशन भी शुरू नहीं कराया जा सका है। जबकि टांगीनाथ धाम, पालकोट में रोपवे निर्माण व आंजन धाम का भी डीपीआर तैयार कर स्वीकृति के लिए कला, संस्कृति व युवा कार्य विभाग को सौंपा गया है, लेकिन इसके निविदा करा कार्य शुरू कराने का आदेश अबतक जिला प्रशासन को नहीं दिया गया है।
यहां यह भी उल्लेख करना आवश्यक है कि डुमरी प्रखंड का प्रसिद्ध टांगीनाथ धाम सांसद सह केंद्रीय मंत्री सुदर्शन भगत व विधायक शिव शंकर उरांव का गृह प्रखंड भी है। ऐसे में विकास के लिए मंत्री या सांसद द्वारा खुले मंच से कभी भी स्थलों के विकास के लिए पहल करने की घोषणा नहीं किया जाना भी इस क्षेत्र के लोगों के लिए समझ से परे वाली बात बनकर रह गई है। सूत्र बताते हैं कि यही कारण भी है कि तत्कालीन मंत्री गीताश्री उरांव ने अपने विधानसभा क्षेत्र में पड़नेवाले नवरत्नगढ़ किला को विकसित कराने के लिए डीपीआर तैयार कर कार्य शुरू कराने के लिए राशि भी प्रशासन को उपलब्ध करा दी है। जबकि अन्य स्थलों के विकास के लिए आज तक डीपीआर बनाने के सिर्फ बात ही हो रही है।
बीओक्यू मंजूरी बाद निकलेगी निविदा
गुमला : भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता ज्योतिन्द्र नाथ दास ने बताया कि नवरत्न किला के विभाग के लिए विभाग को राशि उपलब्ध हुई है एवं कार्य शुरू किया जाना है। बताया कि डीपीआर पुराने शिड्यूल रेट पर तैयार किया गया है इस कारण विभाग द्वारा इसमें सुधार के लिए बीओक्यू को मंजूरी कराने का प्रस्ताव भेजा जा रहा है। मंजूरी मिलते ही कार्य की निविदा निकालकर काम शुरू कराया जाएगा।