हां डागी है वफादार.. पर जरा संभलकर
गुमला : शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में लगातार बढ़ते जा रहे लवारिश कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करने को लेकर जिला प्रशासन पूरी तरह से उदासीन है। जिले में आज तक लवारिश कुत्तों को पकड़ने की योजना पर काम ही नहीं हो सका है। स्थिति यह है कि आए दिन लोग कुत्ता के काटने के शिकार हो रहे हैं। सदर अस्पताल से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार जनवरी से अब तक जिले में 565 लोग कुत्ता काटने के शिकार हुए हैं। हालांकि कुत्ता के काटने से होनेवाली बीमारी रेबीज से किसी की मौत होने की सूचना नहीं है। हालांकि लवारिश कुत्तों की धर पकड़ से जहां रेबीज बीमारी के फैलाव पर रोक लग सकती है वहीं कुत्तों के नसबंदी से बढ़ती संख्या पर भी रोक लगाया जा सकता है। जिससे बहुत हद तक रेबीज बीमारी की रोकथाम हो सकती है। जिले के कुछ जंगली क्षेत्र को छोड़ दे तो बंदरों की संख्या या उनके काटने से भी किसी के मौत होने की सूचना नहीं है। शहरी क्षेत्र में तो बंदरों की उपस्थिति शायद कभी-कभी ही देखने को मिलती है। लवारिश कुत्तों की धर पकड़ व नसबंदी कराने की जिम्मेवारी नगर पंचायत की है। लेकिन नगर पंचायत में कुत्ता पकड़ने के लिए पर्याप्त संसाधन का जहां अभाव है वहीं कुत्तों को पकड़कर छोड़ने के लिए कोई निर्धारित स्थान ही नहीं है।
कोट
आज तक नगर पंचायत द्वारा लवारिश कुत्तों को पकड़ने की योजना पर कोई काम नहीं हो सका है। नगर विकास विभाग के निर्देश पर काम होता है। कुत्ता पकड़ने के लिए प्रशिक्षित कर्मी व वाहन की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है।
मुसर्रत परवीन
नगर पंचायत उपाध्यक्ष।
कोट
रेबीज बीमारी से बचाव के लिए आवश्यक है कि घरों में पालतू कुत्तों को प्रतिरक्षित किया जाएं एवं शहर में घुमनेवाले अवारा कुत्तों की धरपकड़ एवं नसबंदी कराने का काम हो। कुत्ता के काटने पर तत्काल एंटी रेबीज वेक्सिन लगवाना चाहिए ताकि रेबीज के वायरस को फैलने से रोका जा सके। सदर अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में एंटी रेबीज वेक्सिन उपलब्ध है एवं जिले के किसी भी क्षेत्र के प्रभावित व्यक्ति सदर अस्पताल में आकर एंटी रेबीज इंजेक्शन ले सकते हैं।
डॉ. एल.एन.पी बाड़ा
सविल सर्जन।