शहीदों का रक्त मसीही विश्वास का बीज
पालकोट/ रांची : कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो ने कहा कि शांति की प्रतिमूर्ति थे प्रभु यीशु। क्रूस पर बहाए उनके लहू से ही पवित्र कैथोलिक कलिसिया का जन्म हुआ। एक नए युग का आरंभ हुआ। इस युग में हर इंसान प्रभु यीशु के नाम के साथ किसी न किसी रूप में जुड़ा है। यह बातें उन्होंने पालकोट के करौंदाबेड़ा में शहादत दिवस के मौके पर कही।
कहा कि आज से बीस वर्ष पूर्व करौंदाबेड़ा में एक काला शुक्रवार आया था। दो सितंबर 1994 को पुराहितों जोसेफ डुंगडुंग, फ्लोरेंस कुजूर व ब्रदर अनूप इंदवार की हत्या कर दी गई थी। ये तीनों शहीद प्रभु यीशु के शिष्य थे। शहीदों का रक्त मसीही विश्वास का बीज है। यह खून कभी व्यर्थ नहीं जाता है।
गुमला के बिशप पाल लकड़ा ने कहा कि आज शहीदों के नाम पर उनका समाज यहां इकट्ठा हुआ है। सिमडेगा के बिशप विसेंट बारवा ने कहा कि यहां आनेवाले धर्म समाज के लोगों पर ईश्वर की कृपा है। शहीदों के परिजन एवं उपस्थित लोगों पर ईश्वर आशीष प्रदान कर रहे हैं। फादर जैफरिन तिर्की ने उपस्थित लोगों का स्वागत करते किया।
इससे पूर्व छात्र-छात्राओं द्वारा स्वागत गान व नृत्य से अतिथियों को मंच तक लाया गया। मौके पर रांची के सहायक बिशप तिलेस्फोर बिलुंग, थियोडर, जमशेदपुर बिशप थैलिस टोप्पो, अल्बर्ट लकड़ा, सुशील टोप्पो, सिसिल सोरेंग, सिस्टर अंजेला, सिस्टर जसिंता, सिस्टर लोरेंसिया, सि कुसुम, प्रमुख विश्वासी लकड़ा उपस्थित थे।