हर साल एक हजार पंचायतों से गरीबी समाप्त करेंगे: रघुवर
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने विकास के मसले पर कहा कि आप दो कदम चलिए, मैं चार कदम चलने को तैयार हूं।
मुख्यमंत्री रघुवर दास दो दिवसीय प्रवास पर बुधवार को गोड्डा पहुंचे। दिनभर कार्यक्रमों में शामिल होने के बाद यहां अतिथिशाला में रात्रि विश्राम किया। हाल के वर्षो में यह पहला मौका है, जब किसी मुख्यमंत्री ने यहां रात्रि विश्रम किया। गुरुवार सुबह 100 से अधिक लोगों से मिले।
इसमें पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ आम लोग भी शामिल थे। उनसे मिलने भीड़ उमड़ पड़ी। उन्होंने किसी को निराश नहीं किया। शिकायतों के समाधान का आश्वासन भी दिया। राज्य के विकास के लिए उनकी चिंता स्पष्ट दिखी। विकास के मसले पर कहा कि आप दो कदम चलिए, मैं चार कदम चलने को तैयार हूं। इसी क्रम में उन्होंने दैनिक जागरण के डॉ. प्रणेश से बातचीत की। पेश है प्रमुख अंश:
पार्टी कार्यकर्ताओं को आपने क्या मंत्र दिया है?
अगला चुनाव राष्ट्रवाद, विकास और सुशासन पर लड़ा जाएगा। कार्यकर्ताओं को यह बता दिया गया है और कहा गया है कि वे सत्ता का अहंकार नहीं पालें, सेवा का भाव रखें। जनसहयोग से कोई भी काम आसान हो जाता है। यह राज्य व यह देश मेरा है, यह भाव सभी लोगों में आना चाहिए तभी विकास होगा। लोगों को अपने मन से मेरा-तेरा का भाव निकालना होगा। हम किसी कार्य को करने से पूर्व अपना नफा-नुकसान सोचने लगे तो देश व राज्यहित में कोई काम नहीं कर सकेंगे। लोग जन्म लेते हैं और मरते हैं, कोई उन्हें याद नहीं करता। याद उन्हीं को करता है जो समाज के लिए कुछ करके जाते हैं। मैं अगर राज्य के लिए कुछ कर दूंगा तो उसे ही लोग याद रखेंगे। आप दो कदम चलिए, मैं चार कदम चलने को तैयार हूं।
संताल परगना के पिछड़ेपन के लिए किसे जिम्मेदार मानते हैं?
राजनीतिक अस्थिरता पूरे राज्य के पिछड़ेपन के लिए जिम्मेदार है। कमजोर सरकारें विकास नहीं कर सकतीं। इस वजह से जिस तेजी से राज्य का विकास होना चाहिए था वह नहीं हो पाया। इसीलिए यहां की जनता ने तीन साल पूर्व पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। संताल परगना के पिछड़ेपन के लिए यहां के प्रशासनिक पदाधिकारी व नेता भी जिम्मेदार हैं। इन दोनों ने मिलकर जनता की हकमारी की। विकास कार्यो में लूटखसोट हुआ। सरकार की योजनाएं जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पाईं लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। पदाधिकारियों को जवाबदेह बनाया जा रहा है। लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
राज्य से भ्रष्टाचार कैसे मिटाएंगे?
राज्य से भ्रष्टाचार मिटाना चुनौती भरा काम है लेकिन मैंने इस चुनौती को स्वीकार किया है। पारदर्शिता व तकनीक की मदद से भ्रष्टाचार को समाप्त किया जाएगा। यह हो भी रहा है। अब प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए बीडीओ को सूची भेजने की जरूरत नहीं है। सर्वे कराकर सूची तैयार कर ली गई है। राज्य मुख्यालय से योजना स्वीकृत कर भेज दी जाएगी। अब अधिकारियों को इधर-उधर के काम से मुक्ति मिल जाएगी। भ्रष्टाचार मिटाने के लिए जाति प्रमाणपत्र, आय प्रमाणपत्र, आवासीय प्रमाणपत्र आदि घर तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई है। शहरी क्षेत्रों में भी स्थानीय स्वशासन परिषद का गठन किया जाएगा। गांवों की तरह शहरों में भी इन कार्यो के लिए स्वयंसेवक बहाल किए जाएंगे। उन्हें सरकार निर्धारित राशि देगी और वे सभी प्रकार के प्रमाणपत्र लोगों तक पहुंचाएंगे। आम लोगों को कार्यालय का चक्कर नहीं लगाना होगा।
गरीबी उन्मूलन के लिए आपकी क्या योजना है?
मैं स्वयं एक गरीब परिवार से संबंध रखता हूं। गरीबों को किस तरह की फजीहत ङोलनी पड़ती है इसे महसूस किया है। इसलिए मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही मैंने संकल्प लिया कि मैं राज्य से गरीबी को समाप्त कर दूंगा। इसके लिए लगातार काम कर रहा हूं। हर साल एक हजार पंचायतों से गरीबी (बीपीएल) खत्म की जाएगी। गरीबों को रोजगार से जोड़कर उन्हें समृद्ध बनाया जाएगा। सभी 32 हजार गांवों में विलेज कॉर्डिनेटर नियुक्त किए जाएंगे। एक विलेज कॉर्डिनेटर 15-20 महिलाओं का समूह बनाकर उनका स्किल डेवलपमेंट करेगा। इस प्रकार वे रोजगार से जुड़ जाएंगी। उनके जरिए बनाई गई सामग्री की आपूर्ति स्कूलों व अन्य सरकारी विभागों में की जाएगी।
जनजातीय समुदाय के लोगों का अपेक्षित विकास नहीं हो रहा है?
यह सही है कि जनजातीय समाज के लोगों का अपेक्षित विकास नहीं हो रहा है। यह समाज आज भी वहीं खड़ा है जहां 70 साल पूर्व था लेकिन अब स्थिति बदलेगी। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्मशताब्दी वर्ष पर जनजातीय समाज के लिए 1200 करोड़ की जोहार व तेजस्वी योजना शुरू की गई है। इसके तहत गरीब परिवारों को रोजगार से जोड़ा जाएगा। 17 जिलों की 68 पंचायतों में यह योजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत एक परिवार को चार लाख रुपये का लोन मुर्गीपालन के लिए दिया जाएगा। इनमें एक लाख रुपये शेड निर्माण पर खर्च करना है, जबकि तीन लाख रुपये चूजा की खरीद पर। इन्हें अंडा बेचने के लिए बाजार नहीं खोजना होगा। आसपास के स्कूलों में उन अंडों की आपूर्ति की जाएगी। टेंडर का लफड़ा नहीं होगा। स्कूल की समिति सीधे भुगतान करेगी।
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