पारंपरिक बीजों को मिलेगी नई पहचान : डीडीएम
संवाद सहयोगी, गोड्डा : पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम-2001 के तहत मंगलवार को कृषि विज्ञान
संवाद सहयोगी, गोड्डा : पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम-2001 के तहत मंगलवार को कृषि विज्ञान केंद्र सभागार में किसानों के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसका उद्घाटन कृषि विज्ञान केंद्र के समन्वयक डॉ. रविशंकर ने किया। इसका आयोजन पौधा किस्म और कृषक प्राधिकार संरक्षा प्राधिकरण नई दिल्ली द्वारा किया गया था। इस अवसर पर डीडीएम नावार्ड ने कहा कि पारंपरिक बीजों का संरक्षण नई प्रजातियों के विकास में सहायक साबित होगा। पारंपरिक बीजों को नई पहचान मिलेगी। इससे पुरानी बीजों को अधिक दिनों तक संरक्षित रखा जा सकता है और यह भविष्य के लिए सुखद है। पारंपरिक किस्मों की जीन से तैयार होनेवाली नई किस्म के बीजों के लिए किसानों को रायल्टी देने की व्यवस्था है। इस संबंध में किसानों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होने की जरूरत है। पारंपरिक किस्मों की सुरक्षा के लिए कई किसानों ने गेहूं, धान, चना, अरहर, मक्का बीज को जमा करने की सलाह दी गई ताकि उस बीज को परीक्षण के लिए भेजा जा सके। मौके पर डॉ. हेमंत कुमार चौरसिया, डॉ. सूर्य भूषण, डॉ. प्रगतिका मिश्रा, डॉ. सतीश कुमार, डॉ. एपी ठाकुर, रीतेश दुबे, राकेश रोशन कुमार ¨सह, नीतू कुमारी, बुद्धदेव ¨सह, अवनीश कुमार ¨सह के अलावा दर्जनों किसान उपस्थित थे।