अब एक रंग के होंगे सभी विद्यालय
संवाद सूत्र, गोड्डा : स्कूलों को सुंदर व आकर्षक बनाने के लिए जिला स्तर से कवायद तेज कर दी गई है। इसक
संवाद सूत्र, गोड्डा : स्कूलों को सुंदर व आकर्षक बनाने के लिए जिला स्तर से कवायद तेज कर दी गई है। इसके लिए जिला शिक्षा अधीक्षक अशोक कुमार झा ने सभी प्रधानाध्यापक को पत्र जारी कर निर्देश दिया है। उन्होंने कहा है कि स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के निर्देश पर जिले के सभी विद्यालयों को सुंदर और आकर्षक बनाने का निर्देश दिया था। विद्यालय के शिक्षक, छात्र-छात्रा अभिभावक विद्यालय को अपना समझें। यह तभी संभव होगा। जब इन तीनों के आपस का तालमेल बना रहेगा। स्कूलों की रंगाई-पुताई अच्छे से हो और पूरा परिसर साफ-सुथरा रखा जाए। उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सभी स्कूलों को प्रत्येक वर्ष राशि आवंटित की जाती है जिसका उपयोग प्रधानाध्यापक विकास कार्य में करते हैं। जांच के दौरान कई विद्यालय ऐसे मिले जहां राशि का उपयोग सही से नहीं किया गया। जिससे विद्यालय जर्जर और खराब दिखता है। उन्होंने सभी प्रधानाध्यापक को निर्देश दिया है कि 2016-17 में जो राशि दोनों मद में जा रही थी उसे प्राथमिकता के आधार पर खर्च करें।
भवन में करना है यह कार्य
1. विद्यालय का रंग-रोगन : भवन की बाहरी दीवारों को लाइट ¨पक रंग से रंगना है। साथ ही दीवार का बॉर्डर लाल रंग से रंगना है। यह कार्य बारिश समाप्त होने के तुरंत बाद 15 दिन के अंदर करना है।
- विद्यालय मरम्मत मद में 1500 रुपये से विद्यालय में उपलब्ध शौचालय को नीचे से डेढ़ फीट तक डीप ब्लू से रंगा जाए। शेष भाग को हल्का ब्लू रंग से रंगा जाए। साथ ही शौचालय में एक ऐनक, बाल्टी और मग उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।
-प्रत्येक माध्यमिक विद्यालय में एक विज्ञान कक्ष स्थापित करना है। प्रयोगशाला में छोटे प्रयोग की सामग्री रखनी है ताकि वर्ग 6, 7 एवं 8 के छात्र-छात्राएं स्कूल से ही विज्ञान की गतिविधि से परिचित हो सकें। साथ ही विद्यार्थियों में विज्ञान पढ़ने की रुचि बढ़ सके।
- जिले के सभी प्राथमिक व मध्य विद्यालय में वर्ग एक व दो में अध्यनरत छात्र-छात्राओं के लिए एक बुनियाद कक्ष स्थापित करना है। साथ ही इस विद्यालय के दरवाजे पर बुनियाद कक्ष लिखा जाना है। कार्ड बोर्ड में उपलब्ध पशु पक्षी, अंक, अक्षर आदि के चित्रों को बुनियाद कक्ष में तार से लटका देंगे ताकि बच्चे आनंदमयी तरीके से पठन-पाठन कर सकें। इसमें वैसे शिक्षकों को प्रतिनियुक्त किया जाए जो पूर्व में बुनियाद प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं।