ठाकुर से कुछ मांगने की जरूरत नहीं
संस, गोड्डा : ठाकुर से कुछ मांगने की जरूरत नहीं है, वे खुद ही भक्त की मनोदशा जानते हैं और कल्याण कर
संस, गोड्डा : ठाकुर से कुछ मांगने की जरूरत नहीं है, वे खुद ही भक्त की मनोदशा जानते हैं और कल्याण करते हैं। ब्राह्मामण सुदामा और भगवान श्रीकृष्ण बाल सखा थे बावजूद उन्होंने ठाकुर से कुछ भी नहीं मांगा। पत्नी की सलाह पर बाल सखा से मिलने पहुंचे तो उनके हाथों की लकीरें ही बदल गई। ठाकुर ने बिन मांगे ही सुदामा की कुटिया को सुदामा नगरी में तब्दील कर दिया।
उक्त बातें स्थानीय बड़ी काली मंदिर परिसर में मारवाड़ी युवा मंच के तत्वावधान में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में रविवार को प्रवचन के दौरान गो¨वद शरणजी महाराज ने कहीं। उन्होंने कहा कि भक्ति उपासना का नाम नहीं बल्कि प्रेम और त्याग का नाम है। जब सुदामा द्वारिकाधाम पहुंचे तो भगवान श्रीकृष्ण बाल सखा सुदामा का नाम सुनते ही नंगे पांव दौड़ पड़े और गले से गले मिले। दोनों के मिलन से जो अश्रुधारा निकली उससे एक नदी ही बन गई। सुदामा द्वारा लाई गई पोटली को बड़े चाव से खाया। दो मुट्ठी चावल में ही संपूर्ण वैभव ही दे दिया। इसके पूर्व उन्होंने रास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सगुन के उपासक मोक्ष नहीं चाहते हैं। प्रेम के साथ की जानेवाली भक्ति में जो रस है उसे प्रेमिका हर कीमत पर खोजना नहीं चाहती। महारास की भी यही स्थिति है। महारास में सबका अलग-अलग भगवान होता है। इस दौरान उन्होंने पारंपरिक गीत को अनोखे अंदाज में प्रस्तुत कर उपस्थित श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। यजमान के रूप में प्रीतम गाडिया सपत्नी उपस्थित थे। कार्यक्रम को सफल बनाने में मारवाड़ी युवा मंच सहित आसपास के श्रद्धालुओं की भूमिका सराहनीय रही। इसके साथ ही 22 अगस्त से चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का समापन हो गया।