मातृभाषा को क्षति पहुंचानेवाली तरक्की आत्मघाती
गिरिडीह : अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर बुधवार को गिरिडीह कॉलेज में मातृभाषाओं के महत्व विषय पर संग
गिरिडीह : अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर बुधवार को गिरिडीह कॉलेज में मातृभाषाओं के महत्व विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें वक्ताओं ने मातृभाषा की महत्ता और आवश्यकता पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्राचार्य डॉ. अशोक ने कहा कि जो भाषा अनायास ही मुख से निकले, वही मातृभाषा है। हिन्दी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. अनुज कुमार ने कहा कि भाषा पैत्रिक नहीं, अर्जित है। हमें अपनी मातृभाषा को बचाना होगा।
इस दौरान गणित विभाग के अध्यक्ष डॉ. समीर सरकार ने गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर की बांग्ला कविता मायावन विहारिणी गहण स्वपन संचारिणी का पाठ किया। अंग्रेजी विभाग के प्राध्यापक डॉ. चितरंजन कुमार ने कहा कि मातृभाषा को क्षति पहुंचाने वाली तरक्की आत्मघाती होती है। वनस्पति शास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ. एके वाष्र्णेय ने कहा कि सृजनात्मकता मातृभाषा से ही दिखती है। प्राध्यापिका दीपाली गुहा नियोगी ने बांग्ला कविता एकुस मने मायर भाषा का गायन किया। इतिहास के प्राध्यापक धनेश्वर रजक ने कहा कि मातृभाषा नैसर्गिक वरदान है। मौके पर शिक्षा शास्त्र (बीएड) के विभागाध्यक्ष सुजीत कुमार, डॉ. रविकृष्णा, बीएड के छात्र विष्णु कुमार, उषा कुमारी, आदित्य बेसरा, दीपक वर्मा, स्नेहा टुडू, अब्दुल मन्नान आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। मौके पर डॉ. एसके राय, आरएस राय, यू ¨सह, प्रभात कुमार, डॉ. बलभद्र, नितेश कुमार आदि उपस्थित थे।