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सोलर लाइट से जगमगा रहा पारसनाथ का वंदना पथ

पारसनाथ (गिरिडीह) : पारसनाथ का पर्वत वंदना पथ अब सोलर लाइट की रौशनी से जगमगा रहा है। पारसनाथ डेवलपमे

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Mar 2017 12:34 AM (IST)Updated: Wed, 29 Mar 2017 12:34 AM (IST)
सोलर लाइट से जगमगा रहा पारसनाथ का वंदना पथ
सोलर लाइट से जगमगा रहा पारसनाथ का वंदना पथ

पारसनाथ (गिरिडीह) : पारसनाथ का पर्वत वंदना पथ अब सोलर लाइट की रौशनी से जगमगा रहा है। पारसनाथ डेवलपमेंट एक्शन प्लान के तहत पारसनाथ का चहुंमुखी विकास किया जाना है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने पर्वत की तलहटी से वंदना पथ पर लाइट लगाई जा रही है, जो सौर उर्जा से जलती है। पिछले तीन दिनों से पर्वत की तलहटी से पर्वत स्थित कलीकुंड तीर्थधाम तक की लाइट चालू कर दी गई है। शाम होते ही दर्जनों लाइट के जलने से वंदना पथ जगमगा उठता है। कई तीर्थयात्रियों व स्थानीय लोगों ने सरकार के इस कदम की सराहना की है। सुबह तीन बजे पहाड चढने वाले यात्रियों को काफी सहूलियत मिल रही है। जहां एक ओर लाइट के लगने से लोगो में हर्ष है वहीं जैन समाज में एक ऐसा समूह भी है जो पर्वत में हो रही लाइ¨टग को धर्म सम्मत नहीं मानता है। अव्वल समझ तो यह कि जैन धर्म पूरी तरह से अ¨हसा पर आधारित है और जंगल में लाइट जलने से कई कीड़े मकोड़े बल्ब की ओर आकर्षित होंगे तथा जलकर मर जाएंगे। इस तरह प्रतिदिन असंख्य जीवों की मौत होगी, जिसे कभी भी धर्म सम्मत नहीं कहा जा सकता है। हलांकि इस प्रकरण में कोई खुलकर अपना नाम नहीं बताना चाहते हैं। मामला जो भी हो पर लाइट जलने पर खुशी मनाने वाले लोगों की संख्या कहीं ज्यादा है। इसमें न केवल बाहर से आने वाले तीर्थयात्री बल्कि स्थानीय निवासी भी शामिल हैं। वहीं दूसरी ओर कानूनी पेचिंदिंगियां भी सामने आ रही है। जानकारों की मानें तो यह पर्वत 1972 में वन्य प्राणी आश्रयणी है। साथ ही 1984 में इसे संरक्षित वन करार दिया गया था। ऐसे में यहां कोई भी गतिविधियां नहीं की जा सकती है जिसे वन्य प्राणी असुरक्षित महसूस करे। हलांकि लाइट लगाने वाली संस्था जरेडा ने इस बाबत विभाग को आवेदन दिया है।

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वर्जन

यह पर्वत वन्य प्राणी आश्रयणी घोषित है। लिहाजा यहां लाइट जलाना प्रतिबंधित है। हालांकि लाइट जलाने के लिए विभाग को आवेदन दिया गया है। पर जब तक विभाग से एनओसी प्रदान नहीं किया जाता तब तक पर्वत में लाइट जलाना कानून सम्मत नहीं है।''

एनके पटेल, रेंजर वन्य प्राणी आश्रयणी, गिरिडीह।

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'लाइट लगने से सिर्फ तीर्थयात्री ही नहीं लोकल लोगों को भी काफी फायदा होगा। अंधेरे में चलने में भारी परेशानी होती थी अब कभी भी कोई आसानी से उतर और चढ़ सकता है। सरकार द्वारा एक अच्छी पहल की जा रही है।''

सुमन सिन्हा, स्थानीय निवासी

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''पर्वत स्थित वंदना पथ में सरकार की ओर से लाइट की व्यवस्था करना सराहनीय कदम है। पर लाइट की व्यवस्था पर्वत पर नीचे से तीन किलोमीटर तक ही करनी चाहिए। उसके बाद से लाइट की जरूरत नहीं है, क्योंकि वहां तक यात्रियों के पहुंचते-पहुंचते सुबह हो जाती है। वहीं भाग लाइट रोड से दस फीट दूरी पर लगाए एवं लाइट का तार की व्यवस्था भी व्यवस्थित करे।''

छीतरमल पाटनी, महामंत्री, दिगंबर जैन शाश्वत ट्रस्ट।


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