डाक्टरवा के कारण चैल गेलो हमर बेटिया
गिरिडीह : डॉक्टरवा के कारण चैल गेलौ हमर बेटिया। अगर समय पर अस्पतलवा में डॉक्टरवा देख लेतोल तो चबूतरा
गिरिडीह : डॉक्टरवा के कारण चैल गेलौ हमर बेटिया। अगर समय पर अस्पतलवा में डॉक्टरवा देख लेतोल तो चबूतरा पर प्रसव नाय होतईल और बेटिया ठीक रहतइल। यह वेदना उस ममता देवी की है जिसने नौ महीने तक अपने गर्भ में रखने के बाद सदर अस्पताल की लापरवाही एवं आर्थिक तंगी के कारण मकतपुर के बंगला स्कूल के पास स्थित चबूतरे पर रविवार को अपनी लाडली को जन्म तो दिया था।
मासूम की मौत गुरुवार सुबह करीब चार बजे हो गई। सात बजे स्थानीय सहिया मौसमी देवी ने भी आकर उसकी मौत हो जाने की संभावना को देखते हुए उसे सदर अस्पताल भेज दिया जहां चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया।
बच्ची के मरने के बाद से महिला आपे में नहीं है। उसकी मानसिक स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब उससे बच्ची के बारे में पूछा जाता है तो वह अपनी शादी से लेकर अब तक की सारी बातें बताने लगती है।
भंडारीडीह ताराटांड़ के मोहलीडीह में एक झोपड़ी में अजय राम अपनी पत्नी ममता देवी, आठ वर्षीय बेटा सूरज, बड़ा भाई अर¨वद राम एवं अपनी बूढ़ी मां के साथ रहता है। उसकी पत्नी गर्भवती हुई जिसका प्रसव कराने के लिए गत रविवार को सदर अस्पताल उसने लाया था। उसकी पत्नी को भर्ती तो कर दिया गया लेकिन साथ में संबंधित जांच कराने का भी निर्देश दिया गया। अस्पताल परिसर में ही एसआरएल में जब उसकी जांच नहीं हुई तो वह स्थानीय गोयनका एवं शिवम नर्सिंग होम पत्नी को ले गया, जहां पैसे के अभाव में उसकी पत्नी को भर्ती नहीं लिया गया। अंतत: वह पास के मकतपुर में स्थित बंगाली स्कूल के चबूतरे पर पत्नी को बैठाकर कहीं मदद मांगने गया, लेकिन जब तक वह आया उसकी पत्नी का प्रसव हो चुका था। बाद में उसे रात में सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया।
नहीं हुआ बच्ची व उसकी मां का इलाज : अजय राम ने बताया कि उसकी पत्नी का चबूतरे पर प्रसव होने के बाद सदर अस्पताल में भर्ती तो कराया गया, लेकिन वहां कोई इलाज न तो उसकी पत्नी का किया गया और न ही बच्ची का। बच्ची को तत्काल कोई टीका व अन्य संबंधित दवा भी नहीं दी गई। जब मामले की जांच के लिए प्रभारी आरडीडी डॉ. हिमांशू भूषण बरवार गांडेय उप स्वास्थ्य केंद्र बुधवार को आए तो उन्होंने बुलाकर दो घंटे तक पूछताछ करने के बाद बच्ची को संबंधित दवा दी, लेकिन उस दवा को देने के बाद शाम से ही बच्ची शिथिल होने लगी। आज सुबह उसकी ज्यादा तबीयत खराब हो गई तब उसे सदर अस्पताल ले गए जहां चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया। उन्होंने बताया कि प्रसव पूर्व जांच भी नौ माह में एक बार ही की गई थी। इतना ही नहीं प्रसव पूर्व जो सरकारी सुविधा मिलती है वह भी उसकी पत्नी को नहीं मिली थी। बच्ची को तालाब में नहाने के संबंध में उसने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है। जब अस्पताल से उसकी पत्नी बच्ची के साथ आई थी तब गर्म पानी से उसके हाथ पांव पोंछे गए थे। साथ ही मां को दूध नहीं होने के कारण उसे गाय का दूध दे रहे थे।
सदर अस्पताल है दोषी : स्थानीय सहिया मौसमी देवी एवं सहिया साथी प्रमिला देवी ने कहा कि सदर अस्पताल में प्रोपर वे में इलाज नहीं किया गया जिस कारण एक तो महिला ने बच्ची को खुले में चबूतरे पर जन्म दिया और ऊपर से चार दिनों में उसकी मौत हो गई। कहा कि बुधवार को प्रभारी आरडीडी के समक्ष बच्ची को पोलियो का टीका दिया गया था। उससे बच्ची की मौत नहीं हुई है। महिला ने स्वयं एवं बच्ची को तालाब में नहला दिया जिस कारण उसकी मौत हो गई। कहा कि 5 जुलाई को स्वास्थ्य शिविर में तत्कालीन प्रभारी डॉ. विपिन कुमार ने उस महिला की जांच कर कहा था कि महिला को खून की कमी है इसलिए उसे समुचित रूप से इलाज की जरूरत है। एएनएम ऐमली सोरेन ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्र के माध्यम से उसे जो सुविधा मिलनी थी मिलती रही।
वर्जन:
ममता देवी की बच्ची की मौत के मामले से कोई मतलब नहीं है। पूर्व में भी एक बच्चे का जन्म ऑपरेशन से हुआ था इसलिए हमलोग यह मानकर चल रहे थे कि इस बार भी उसका ऑपरेशन करना पड़ेगा। गांडेय में ऑपरेशन की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण जब भी उसे जरूरत हुई तो एंबुलेंस भेज दिया गया था। इससे ज्यादा कुछ भी वे नहीं कर सकते थे। बच्ची की मौत तालाब में नहा देने से हुई है।
डॉ. प्रदीप बैठा, प्रभारी, उप स्वास्थ्य केंद्र गांडेय।
महिला ने बुधवार को बच्ची के साथ स्वयं भी स्थानीय तालाब में स्नान कर लिया था। बदलते मौसम को बच्ची बर्दाश्त नहीं कर सकी और उसकी जान चली गई। अगर बच्ची को नहाया नहीं जाता तो उसे कुछ भी नहीं होता। कल ही उसे स्थानीय उप स्वास्थ्य केंद्र में टीका लगाया गया था। तब बच्ची पूरी तरह स्वस्थ थी।
प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. कमलेश्वर प्रसाद।