सीएनटी-एसपीटी संशोधन वापस लेना आवश्यक : बाबूलाल
- संशोधन अध्यादेश 2016 और घोषित नीति विषय पर संगोष्ठी - वक्ताओं ने एक्ट को आदिवासियों के अस्तित्व
- संशोधन अध्यादेश 2016 और घोषित नीति विषय पर संगोष्ठी
- वक्ताओं ने एक्ट को आदिवासियों के अस्तित्व के लिए खतरा बताया
जागरण संवाददाता, रांची : पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि वर्तमान सरकार की नीतियां आदिवासियों के लिए हितकर नहीं हैं। इसलिए अब सीएनटी-एसपीटी एक्ट के संशोधन प्रस्ताव को वापस लेना आवश्यक हो गया है। वे सोमवार को झारखंड आदिवासी संघर्ष मोर्चा की ओर से सीएनटी-एसपीटी एक्ट के प्रस्तावित संशोधन अध्यादेश 2016 और घोषित स्थानीय नीति विषय पर संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
कहा कि संशोधन अध्यादेश सिर्फ आदिवासियों के लिए ही नहीं बल्कि मूलवासियों से भी जुड़ा है, हमें एकजुट होकर इसका हल निकालना होगा। संगोष्ठी की अध्यक्षता पूर्व आइजी आरआइवी कुजूर व संचालन डॉ. करमा उरांव ने की। कानूनविद् रश्मि कात्यायन ने कहा कि अब तक सीएनटी एक्ट में 33 बार संशोधन हो चुका है। कहा, आदिवासी जमीन का नियंत्रण अपने पास से जाने नहीं दे। कानूनविद् पांडेय रविंद्र नाथ राय उर्फ मणि बाबू ने कहा कि सरकार की स्थानीय नीति की परिभाषा ही गलत है। कहा, वर्तमान में जो संशोधन कानूनों में हो रहा है, वह विशेष वर्ग को लाभ देने व कृषि भूमि की प्रकृति को बदलने के लिए हो रहा है। उसी का विरोध हो रहा है।
-------
सीएनटी-एसपीटी पर कन्वेंशन आज
रांची : सीएनटी और एसपीटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ वाम दल का 23 अगस्त को रांची में एक दिवसीय कन्वेंशन एसडीसी सभागार में होगा। पूर्व सांसद भुवनेश्वर मेहता ने बताया कि इस कन्वेंशन में वाम दलों के अलावा सभी धर्मनिरपेक्ष पार्टियों और विस्थापन विरोधी जन संगठनों के लोग शामिल होंगे।