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बेरहम हो रहा मॉनसून, किसान हलकान

गिरिडीह : समय पर मॉनसून के आगमन और मूसलधार वर्षा से जिले के किसानों में इस बार अच्छी बारिश होने की उ

By Edited By: Published: Fri, 29 Jul 2016 01:05 AM (IST)Updated: Fri, 29 Jul 2016 01:05 AM (IST)
बेरहम हो रहा मॉनसून, किसान हलकान

गिरिडीह : समय पर मॉनसून के आगमन और मूसलधार वर्षा से जिले के किसानों में इस बार अच्छी बारिश होने की उम्मीद जगी थी। इसी उम्मीद से किसान कृषि कार्य में जुट गए थे। खेतों की जुताई करने के साथ-साथ बीज भी बो दिए, लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी फिरने लगा है। मॉनसून की धमाकेदार इंट्री तो हुई, लेकिन खामोशी के साथ एंड भी होने लगा है, वह भी समय से पहले। फलाफल यह है कि अभी कृषि कार्य संपन्न भी नहीं हुआ है और खेतों में पानी की कमी होने लगी है। इसी के साथ किसानों की ¨चता भी बढ़ती जा रही है। खेतों में पड़ रही दरार और झुलस रहे बिचड़ों को देख किसानों का कलेजा मुंह को आ रहा है।

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हंसा के रूला रहा मॉनसून : एक कहावत है का बरखा जब कृषि सुखानी, लेकिन यहां स्थिति इसके विपरीत है। मॉनसून ने पहले तो खूब दरियादिली दिखायी। मूसलधार बारिश भी हुई। इसे देख किसान गदगद थे कि इस बार अच्छी बारिश होगी, जिससे कृषि कार्य में किसी तरह का व्यवधान उत्पन्न नहीं होगा, लेकिन समय से पूर्व बारिश होने का कोई लाभ नहीं हुआ। अब जब धनरोपनी का समय आया तो पानी का अभाव होने लगा है। हालांकि कृषि के लिए महत्वपूर्ण माने जानेवाले जुलाई महीने में सामान्य के करीब वर्षापात तो हुआ। कृषि विभाग में दर्ज वर्षापात के आंकड़े के अनुसार इस माह अब तक 255.6 मिमी. वर्षापात हुआ है, जबकि सामान्य वर्षापात 297.9 मिमी. है। इस तरह देखा जाए तो जिले में सामान्य के करीब वर्षापात अवश्य हुआ, लेकिन तब जब बारिश की इतनी आवश्यकता नहीं थी। परिणाम यह हुआ कि बारिश का पानी बह गया।

क्या है स्थिति : बारिश की कमी के कारण जिले में अब तक महज 13.8 फीसद धनरोपनी हुई है। जिले में इस बार 86000 हेक्टेयर भूमि में धान के आच्छादान का लक्ष्य है, जबकि दो दिन पूर्व तक 10384 हेक्टेयर भूमि में ही धनरोपनी हो पाई थी। इसी तरह मकई, ज्वार, बाजरा, मडुआ, दलहन व तेलहन के आच्छादन का प्रतिशत क्रमश: 94.1, 287.7,8.3,14.6,56.2 व 0.5 है।

झुलस रहे बिचड़े, किसान ¨चतित : बता दें कि पानी का अभाव होने के कारण खेतों में लगे धान के बिचड़े अब झुलसने लगे हैं। इसे देख किसानों में निराशा है। सूख रहे खेत और झुलस रहे बिचड़ों को देखकर ¨चतित हैं। किसान अमीरउद्दीन अंसारी, देवकी महतो, राधेश्याम वर्मा आदि ने बताया कि मॉनसून की धमाकेदार इंट्री को देख काफी उत्साह से कृषि कार्य शुरू किए थे, लेकिन अन्य वर्षो की तरह इस बार भी मॉनसून की दगाबाजी शुरू हो गई है। मॉनसून किसानों को हंसाने के बाद अब रूलाने लगा है। लगता है इस बार भी सूखे का सामना करना पड़ेगा।

फसल बीमा से मिल सकती राहत : कृषि विभाग से जुड़े कर्मियों का कहना है कि मॉनसून की बेरुखी शुरू हो गई है। यदि मॉनसून का यही रूख रहा तो स्थिति भयावह हो सकती है। ऐसे में किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना राहत प्रदान कर सकता है, क्योंकि इस योजना के तहत बिचड़ों को हुए नुकसान का भी मुआवजा देने का प्रावधान किया गया है। इसलिए किसानों को फसल बीमा अवश्य कराना चाहिए। आगामी 31 जुलाई तक किसान फसल बीमा करा सकते हैं।

बिचड़ा को बचाएं किसान : जिला कृषि पदाधिकारी ब्रजेश्वर दूबे ने कहा कि पानी का अभाव होने लगा है। 2-3 दिन लगातार मूसलधार बारिश की आवश्यकता है। अगर 5-6 दिन में बारिश नहीं होती है, तो कृषि कार्य हो पाना मुश्किल होगा। किसान बारिश होने तक बिचड़ा को बचाएं। अभी उम्मीद टूटी नहीं है। पानी में यूरिया घोलकर बिचड़ों में डालें, ताकि बिचड़े मरे नहीं।


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