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सर, मुझे एड्स है, मैं पढ़ना चाहती हूं..

गिरिडीह : सर, मुझे एड्स है तो इसमें मेरा क्या कसूर..मैं पढ़ना चाहती हूं, लेकिन वार्डन मैडम कहती ह

By Edited By: Published: Sun, 24 Jul 2016 01:00 AM (IST)Updated: Sun, 24 Jul 2016 01:00 AM (IST)
सर, मुझे एड्स है, मैं पढ़ना चाहती हूं..

गिरिडीह : सर, मुझे एड्स है तो इसमें मेरा क्या कसूर..मैं पढ़ना चाहती हूं, लेकिन वार्डन मैडम कहती हैं कि तुम स्कूल मत आना। ये शब्द हैं, एड्स पीड़ित 13 साल की छात्रा के। कक्षा नौ में पढ़ने वाली यह छात्रा डुमरी प्रखंड स्थित एक गांव की रहने वाली है और पिछले कई साल से एक सरकारी आवासीय विद्यालय में रहकर पढ़ाई कर रही है। पिछले दिनों रांची में इलाज करवाने के बाद अपने नाना के साथ दोबारा हॉस्टल पहुंची थी, लेकिन वॉर्डन ने एचआइवी संक्रमित होने का हवाला देकर हॉस्टल में रखने से इन्कार कर दिया।

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बचपन में ही एचआइवी से माता-पिता हुई मौत

छात्रा के नाना ने बताया कि उसके माता-पिता की मौत एचआइवी से हो गई। बचपन से ही वह उनके पास ही रहती है। कुछ बड़ी हुई तो डुमरी प्रखंड के एक आवासीय विद्यालय में उसका दाखिला करवा दिया गया। बच्ची स्कूल में बीमार रहने लगी तो उसका इलाज कराया गया। धीरे-धीरे कक्षा नौ में पहुंची। हमेशा बीमार रहने पर विद्यालय के वार्डन ने छात्रा के नाना को बुलाकर अच्छे चिकित्सक से इलाज कराने की सलाह दी। नाना ने बताया कि वह जांच के लिए राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान रांची गए। वहां पता चला कि बच्ची एचआइवी से संक्रमित है। इसके बाद वहां के चिकित्सकों ने गिरिडीह में आइसीटीसी में इलाज करवाने व दवा लेने की सलाह दी। वह बच्ची को लेकर गिरिडीह पहुंचे और दवा आदि लेकर उसे विद्यालय ले गए तो वहां वार्डन ने बच्ची को स्कूल में रखने से मना कर दिया। कहा कि बच्ची को घर में ही रखकर पढ़ाओ, रही बात परीक्षा की तो उसे दिलवाने की व्यवस्था करा दी जाएगी। नाना ने बताया कि करीब दस वर्ष पूर्व एक बीमारी से बच्ची के पिता की मौत हो गयी थी, इसके दो वर्ष बाद उसकी मां की भी मौत हो गयी। कहा कि गरीबी के कारण बच्ची को घर में रखकर पढ़ा पाना संभव नहीं है।

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मामले की जांच करने का आदेश

शनिवार को सिविल सर्जन को बच्ची ने पूरी बात बतायी। छात्रा की बात सुनने के बाद सिविल सर्जन डॉ. कन्हैया प्रसाद ने तत्काल डुमरी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को मामले की जांच करने का आदेश दिया। जिला शिक्षा पदाधिकारी को सदर अस्पताल बुलाकर इस मामले में उचित कार्रवाई करने की बात कही। सिविल सर्जन ने कहा कि एचआइवी छूत की बीमारी नहीं है। बच्ची का इलाज चल रहा है। अगर वार्डन ने बच्ची को स्कूल में रहने देने से मना किया तो यह सरासर गलत है।

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कोट-

किसी भी तरह की बीमारी से पीड़ित छात्र या छात्रा को विद्यालय आने से रोका नहीं जा सकता है। वार्डन ने अगर ऐसा किया है तो गलत है। वे बच्ची को पढ़ाई से वंचित नहीं होने देंगी। बच्ची उसी विद्यालय में रहकर पढ़ाई करेगी, जहां तक होगा उसकी मदद की जाएगी।

-निर्मला कुमारी बरेलिया, जिला शिक्षा पदाधिकारी

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कोट-

सिविल सर्जन ने मामले की जांच का निर्देश दिया है। जल्द ही रिपोर्ट पदाधिकारी को सौंप दी जाएगी।

डॉ. अजय कुमार, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी


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