गेस्ट प्रोफेसर विदा तो बैठ जाएगा कॉलेज
गिरिडीह : हमारे जीवन में गेस्ट अर्थात अतिथि का बड़ा महत्व व सम्मान होता है। अतिथि चंद दिनों के लिए ह
गिरिडीह : हमारे जीवन में गेस्ट अर्थात अतिथि का बड़ा महत्व व सम्मान होता है। अतिथि चंद दिनों के लिए हमारे घर पर आते हैं, और फिर ससम्मान चले जाते हैं। हम उन पर अपने घर की पूरी जिम्मेदारी नहीं थोपते हैं। लेकिन हम आपको रामकृष्ण महिला कॉलेज गिरिडीह के रूप में एक ऐसे परिवार से आज रुबरू करा रहे हैं जो पूरी तरह से अपने गेस्ट प्रोफेसर पर आश्रित है। इस महिला महाविद्यालय में जहां करीब सात हजार लड़कियां डिग्री तक की शिक्षा ग्रहण करती हैं, वहां मात्र पांच स्थायी शिक्षक हैं जबकि अतिथि शिक्षक करीब बीस। स्थिति यह है कि यदि किसी दिन हमारे अतिथि प्रोफेसर सचमुच में अतिथि बनकर कॉलेज से विदा ले लेंगे तो इस महिला महाविद्यालय की शैक्षणिक व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो जाएगी। सात हजार लड़कियों का भविष्य चौपट हो जाएगा।
यह स्थिति तब है जब प्रधानमंत्री बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा दे रहे हैं। सवाल उठता है कि रामकृष्ण महिला कॉलेज की मौजूदा व्यवस्था में कैसे बेटियां पढ़ेगी। ऐसा नहीं कि कॉलेज प्रबंधन विश्वविद्यालय से प्रोफेसर की मांग नहीं करता है। वर्षों से कॉलेज प्रबंधन यह मांग कर रहा है, लेकिन शिक्षकों की कमी का रोना रोकर विश्वविद्यालय प्रबंधन हर बार हाथ खड़ा कर देता है।
क्या होता है गेस्ट प्रोफेसर
प्रोफेसरों की कमी से निपटने के लिए विश्वविद्यालय गेस्ट प्रोफेसर के रूप में अपने रिटायर्ड प्रोफेसर, निजी कॉलेजों के प्रोफेसर एवं नेट में चयनित छात्रों की अस्थायी सेवा लेती है। इनको मानदेय क्या मिलता है, यह सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। इन्हें मानदेय मिलता है, प्रति कक्षा पांच सौ रुपये जो पूरा महीना मिलाकर 15 हजार रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए। अधिकतम 15 हजार रुपये महीना मानदेय पाने वाले ये गेस्ट प्रोफेसर इस महिला महाविद्यालय को चला रहे हैं।
विज्ञान व वाणिज्य संकाय में शत-प्रतिशत गेस्ट प्रोफेसर उच्च शिक्षा का जो मानक है, उसके अनुसार प्रत्येक ऑनर्स में कम से कम चार शिक्षक होना चाहिए। आरके महिला कॉलेज में कला में नौ विषयों पर ऑनर्स की पढ़ाई होती है। नियम के अनुसार कला में कम से कम 36 शिक्षक होना चाहिए। वहीं कॉमर्स में यहां एकाउंटस में ऑनर्स की पढ़ाई होती है। ऐसे में वाणिज्य में चार शिक्षक होना चाहिए। विज्ञान में फिजिक्स, केमेस्ट्री, मैथ एवं बायलोजी में ऑनर्स है। इस तरह विज्ञान में 16 शिक्षक होना चाहिए। कुल मिलाकर 56 शिक्षक कम से कम होना चाहिए। यहां स्थिति यह है कि विज्ञान व वाणिज्य के सभी शिक्षक गेस्ट प्रोफेसर हैं।
सेवानिवृत्त के साथ खाली होती गई सीटें
कॉलेज की दर्जनों प्रोफेसर रिटायर्ड होती गयीं लेकिन विश्वविद्यालय ने उनके जगह पर किसी भी प्रोफेसर की पो¨स्टग नहीं की। इस कारण प्रोफेसरों के रिटायरमेंट की साथ यहां सीटें खाली होती गयी। शिक्षकों की कमी का खामियाजा आखिरकार लड़कियों को ही भुगतना पड़ता है।
------------------------
बाक्स : एक महिला प्राचार्य तो दे दीजिए
आरके महिला कॉलेज गिरिडीह की विश्वविद्यालय किस तरह उपेक्षा कर रहा है, इसका एक उदाहरण तो आपने शिक्षक की कमी के रूप में देख लिया। एक और बड़ा उदाहरण यह है कि इस कॉलेज को विश्वविद्यालय एक प्राचार्य तक नहीं दे रहा है। प्रो. गीता डे के सेवानिवृत होने के बाद विश्वविद्यालय प्रबंधन ने गिरिडीह कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अली इमाम खान को इस महिला महाविद्यालय का अतिरिक्त प्रभार दे दिया। अब डॉ. खान का राजधनवार कॉलेज में तबादला होने के बाद गिरिडीह कॉलेज के प्रो. डॉ. अशोक कुमार को इस महिला महाविद्यालय का प्रभारी प्राचार्य बना दिया गया। आश्चर्य होता है कि जिस कॉलेज में सात हजार लड़कियां पढ़ती हो वहां स्थायी महिला प्राचार्य तक विश्वविद्यालय नहीं दे रहा है।