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डुमरी प्रखंड में स्वास्थ्य सेवा लचर

डुमरी (गिरिडीह) : सरकार की ओर से स्वास्थ्य सेवा के नाम पर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपया पानी की तरह बहाया ज

By Edited By: Published: Thu, 26 May 2016 05:37 PM (IST)Updated: Thu, 26 May 2016 05:37 PM (IST)
डुमरी प्रखंड में स्वास्थ्य सेवा लचर

डुमरी (गिरिडीह) : सरकार की ओर से स्वास्थ्य सेवा के नाम पर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपया पानी की तरह बहाया जाता है, इसके बावजूद कोलकाता-वाराणसी नेशनल हाइवे स्थित डुमरी प्रखंड में स्वास्थ्य सेवी पूरी तरह लचर है। जबकि, इस एनएच पर अगर कोई दुर्घटना हुई तो घायल को सड़क के किनारे स्थित डुमरी रेफरल अस्पताल ले जाया जाता है। इसके बावजूद यहां न तो चिकित्सकों की समुचित व्यवस्था है और न अन्य संसाधनों की। इस प्रखंड की आबादी करीब तीन लाख है। मजे की बात तो यह है कि इस प्रखंड में संचालित दो अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र एवं चौदह पीएचसी की स्थिति और खराब है।

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ग्रामीणों का कहना है कि रेफरल अस्पताल एवं निमियाघाट केंद्र को छोड़ अन्य सभी केंद्र स्थापना काल से ही पीएचसी होने की केवल औपचारिकता निभा रहे हैं। तीस शैय्या वाले इस अस्पताल में चिकित्सकों के बैठने के लिए चैंबर तक की बेहतर व्यवस्था नहीं है। सृजित आठ चिकित्सकों के बदले सिर्फ चार चिकित्सक ही स्थाई रूप से कार्यरत हैं। उनमें प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अजय सिन्हा, डॉ. डीपी वर्णवाल, डॉ. जितेंद्र ¨सह एवं डॉ. मंजू कुमारी शामिल हैं।

काम चलाने के लिए बोकारो के नावाडीह में उपस्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत डॉ. संगीता कुमारी को प्रतिनियुक्ति किया गया है। उनकी सेवा सप्ताह में तीन दिन क्रमश: मंगलवार, गुरुवार एवं शनिवार को ली जाती है। निमियाघाट स्वास्थ्य केंद्र में पदास्थापित चिकित्सक डॉ. डीपी सिन्हा की सेवा रेफरल अस्पताल में सप्ताह में सिर्फ एक दिन मंगलवार की शाम चार बजे से अगली सुबह नौ बजे तक एवं महीने के तीसरे रविवार को निर्धारित की गई है।

देखा जाए तो एक चिकित्सक ही प्रतिदिन रहते हैं। गंभीर और दुर्घटनाग्रस्त मरीजों के परिजन यहां से रेफर करवा लेने में ही भलाई समझते हैं। मरीजों के बेड पर यदि चादर बिछी हुई दिख जाए तो समझा जाता है कि कोई उच्चाधिकारी आनेवाले हैं। जीटी रोड किनारे स्थित इस अस्पताल के पास एंबुलेंस की व्यवस्था तक नहीं है। दो हैं भी तो अस्पताल परिसर में ही झाड़ियों में पड़े सड़ रहे हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसका लाभ मरीजों को कितना मिलता होगा। प्रखंड में मात्र 28 एएनएम कार्यरत हैं जिन्हें क्षेत्र के केंद्रों में पदस्थापित कर दिया गया है।

''कम संसाधन एवं चिकित्सक की कमी के बावजूद ग्रामीण सहित अन्य लोगों को बेहतर चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास करते हैं।

- डॉ. अजय सिन्हा, चिकित्सा पदाधिकारी, डुमरी


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