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कचरे के ढेर पर सदर अस्पताल

गिरिडीह : चिकित्सकों का कहना है कि अगर किसी भी रोग से निजात पाना है तो अपने घर और आसपास के इलाके को

By Edited By: Published: Thu, 26 May 2016 05:27 PM (IST)Updated: Thu, 26 May 2016 05:27 PM (IST)
कचरे के ढेर पर सदर अस्पताल

गिरिडीह : चिकित्सकों का कहना है कि अगर किसी भी रोग से निजात पाना है तो अपने घर और आसपास के इलाके को साफ-सुथरा रखें। लेकिन, इसे क्या कहा जाए जहां मरीजों का इलाज होता है, वहीं कचरे का अंबार लगा हो। गिरिडीह के सदर अस्पताल का कुछ ऐसा ही हाल है। यहां जिधर देखें, उधर ही कचरा दिखेगा। चाहे ऑपेरशन थियेटर हो या प्रसव रूम का बाहरी क्षेत्र। अस्पताल के पीछे तो नारकीय स्थिति है।

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कहना गलत नहीं होगा कि सदर अस्पताल कचरे के ढेर पर है। हालांकि, यहां गंदगी की बात को अस्पताल के सिविल सर्जन भी स्वीकार करते हैं। उन्होंने कहा कि अस्पताल में सफाई की जिम्मेदारी रांची के एक एजेंसी को दी गई है, जो समुचित मात्रा में सफाईकर्मी मुहैया नहीं करा पा रही है।

बता दें कि करीब 25 लाख की आबादी वाले गिरिडीह जिले की चिकित्सा व्यवस्था सदर अस्पताल के भरोसे है। लोग जैसे ही यहां आते हैं, उन्हें सबसे पहले गंदगी से पाला पड़ता है। अस्पताल में जिधर भी जाएं, पान-गुटखा की पीक नजर आती है। इसी प्रकार प्रसवगृह, ओटी, जांचघर आदि के आसपास अस्पताल से निकले कचरे का ढेर लगा है।

सफाई में लगे कर्मियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि एक तो उन्हें वेतन कम दिया जाता है, ऊपर से कई महीने तक वेतन नसीब नहीं होता। फरवरी के बाद से वेतन नहीं दिया गया है। ऐसे में वे कितना काम करेंगे। अस्पताल के पूर्व सिविल सर्जन डॉ. सान्याल का कहना है कि 110 बेड वाले इस अस्पताल में कम से कम 46 सफाईकर्मी की आवश्यकता है। मसलन ओटी में हर शिफ्ट में तीन-तीन, दस बेड पर एक-एक तीनो शिफ्ट में, दस अतिरिक्त आदि। सफाई व्यवस्था की जिम्मेदारी रांची के जिस अन्नपूर्णा नामक एनजीओ को दी गई है, उसका इस ओर कोई ध्यान नहीं है। महज 20-25 कर्मियों के भरोसे यहां की सफाई टिकी है।

दो सफाईकर्मी का वेतन रोका : सदर अस्पताल गिरिडीह में कार्यरत नारायण जीत एवं बलदेव हाड़ी का एक दिन का वेतन रोक दिया गया है। यह आदेश अस्पताल के ईओ सीएस ने चिकित्सकों एवं अन्य कर्मियों के लिए बनाए गए ड्यूटी रजिस्टर में लिखकर दिया है। रजिस्टर में कहा गया है कि नारायण जीत 23 मई को और बलदेव हाड़ी 24 मई को अपने कार्य से अनुपस्थित रहे। इसलिए दोनों के एक-एक दिन का वेतन अगले आदेश तक के लिए रोका जाता है।

''संबंधित संस्था को कई बार पत्र देकर सफाई की व्यवस्था सुधारने को कहा गया, लेकिन कोई सुननेवाला नहीं है। फरवरी 16 तक की पूरी राशि का भुगतान अस्पताल की तरफ से कर दिया गया है। इसके बावजूद कर्मियों को वेतन नहीं दिया जाता। पहली जून से अन्नपूर्णा की संविदा को रद करने की व्यवस्था की जा रही है।

- डॉ. कन्हैया प्रसाद, सिविल सर्जन, सदर अस्पताल, गिरिडीह


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