दलित-आदिवासियों को सबल बनाने पर मंथन
गिरिडीह : अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के साथ भेदभाव के विरोध में जागरूकता अभियान के तहत शुक्रवार क
गिरिडीह : अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के साथ भेदभाव के विरोध में जागरूकता अभियान के तहत शुक्रवार को गिरिडीह कॉलेज में कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के साथ भेदभाव पर ¨चता प्रकट करते हुए इन्हें सामाजिक रूप से सबल बनाने पर जोर दिया गया। अध्यक्षता कर रहे प्राचार्य डॉ. अली इमाम खान ने कहा कि कॉलेज में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति प्रकोष्ठ का गठन किया गया है, जो कालेज स्तर पर भेदभाव की शिकायत पर विचार और उचित पहल करेगा।
उन्होंने शोषण और भेदभाव के अनेक स्तरों की चर्चा की। साथ ही विस्थापन को सामाजिक भेदभाव का रूप बताया। इसके पूर्व बीएड संभाग की शिक्षिका रितु सुंडी ने विषय प्रवेश कराया। कहा कि आज देश और समाज बदल रहा है। ऐसे में दलित-आदिवासियों को सबल बनाना होगा।
विशिष्ट अतिथि जिप सदस्य प्रमिला मेहरा ने कहा कि समाज और शिक्षण संस्थानों में भेदभाव को समाप्त करने के लिए इसके शिकार लोगों को समझदार होना होगा। उन्हें एकजुट होकर सामना करना पड़ेगा। अधिवक्ता कंचन माला ने कहा कि भारतीय संविधान में भेदभाव के लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने इसके कानूनी पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत की न्याय व्यवस्था एससी-एसटी के प्रति संवेदनशील है। हिन्दी के अध्यापक डॉ. बलभद्र ने कहा कि दलितों-आदिवासियों को केवल सामाजिक तौर पर ही नहीं, बल्कि इतिहास, मिथकों, किवदंतियों और कथा-कहानियों में भी भेदभाव का शिकार होना पड़ा है। इतिहास के अध्यापक डॉ. धनेश्वर रजक ने कहा कि दलितों-आदिवासियों के प्रति अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करना भी अपराध है। बीएड की छात्रा प्रियंका रजक ने कहा कि समाज में दलित-आदिवासियों को एक अलग नजरिए से देखा जाता है। नीलम हेंब्रम ने कहा कि अनुसूचित जनजातियों के उत्थान के लिए सबको सोचना होगा। यह सबसे पिछड़ा समुदाय है। अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की ओर से आयोजित कार्यशाला संचालन अर्थशास्त्र की अध्यापिका रजनी कुमारी एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रकोष्ठ समन्वयक डॉ. जॉनी रूफीना तिर्की ने किया। डॉ. अशोक, डॉ. रविकृष्ण, डॉ. अनिल कुमार वाष्र्णेय, प्रो. कसीमुद्दीन अंसारी, डॉ. जटाशंकर ¨सह, डॉ. दीपाली गुहा नियोगी, डॉ. चितरंजन कुमार, डॉ. मृगेंद्र नारायण ¨सह आदि थे।