आंखों में अंधेरा पर भविष्य उज्ज्वल
गिरिडीह : भले ही ईश्वर ने इनकी आंखों की रोशनी नहीं बख्शी है, लेकिन गले में सरस्वती का वास है। इसी क
गिरिडीह : भले ही ईश्वर ने इनकी आंखों की रोशनी नहीं बख्शी है, लेकिन गले में सरस्वती का वास है। इसी के सहारे ये जिला से लेकर राज्यस्तर तक न केवल अपनी पहचान बना रहे हैं, बल्कि लोगों के चहेते भी बन रहे हैं। यही वजह है कि जिले में सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर होने वाले सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक व अन्य कार्यक्रमों में मंच अवश्य प्रदान किया जाता है। हम बात कर रहे हैं गिरिडीह शहर से करीब आठ किलोमीटर की दूरी पर अजीडीह गांव में स्थित नेत्रहीन विद्यालय में अध्ययनरत बच्चों की। यहां के नेत्रहीन छात्र-छात्राएं संगीत के क्षेत्र में पहचान बनाते हुए दृष्टिहीन आंखों से भी उज्ज्वल भविष्य के सपने देख रहे हैं।
वर्ष 2007 से यहां यह विद्यालय संचालित है, जिसमें गिरिडीह के अलावा देवघर, हजारीबाग, चतरा, रामगढ़ आदि जिलों के 60 बच्चे-बच्चियां अध्यनरत हैं। इनमें से करीब 30 छात्र-छात्राओं की संगीत में विशेष रुचि है। विद्यालय में इन्हें अलग से संगीत की शिक्षा भी दी जाती है। इन बच्चों ने जिला से लेकर राज्य स्तर पर विभिन्न मौकों में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों व प्रतियोगिताओं में भाग लेकर न केवल अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है, बल्कि सामान्य बच्चों को शिकस्त देते हुए कई पुरस्कार भी बटोरे। जिले में इनकी पहचान इस कदर बनी है कि सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर होने वाले विभिन्न समारोहों में इन्हें कार्यक्रम प्रस्तुत करने के लिए मंच प्रदान किया जाता है। बात चाहे अतिथियों के स्वागत में गीत प्रस्तुत करने की हो या फिर सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में अपनी प्रस्तुति देने की, हर जगह इनकी उपस्थिति देखी जाती है।
अपने नाम किए कई पुरस्कार
इन बच्चों ने गीत-संगीत के जरिए कई पुरस्कार भी अपने नाम किये हैं। कला संगम की ओर से यहां होने वाले अखिल भारतीय लघु नाट्य व नृत्य-संगीत प्रतियोगिता में ये प्रथम, द्वितीय व चतुर्थ पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। इस प्रतियोगिता में देश के कई राज्यों के मंजे हुए कलाकार भाग लेते हैं। वर्ष 2011 में रांची राजभवन में आयोजित कार्यक्रम भी इन्होंने प्रथम व चतुर्थ पुरस्कार पर कब्जा जमाया था। इसके अलावा जिला व राज्य स्तर पर संपन्न कई अन्य प्रतियोगिताओं में भी इन्होंने पुरस्कार बटोरे हैं।
संगीत के क्षेत्र में देख रहे भविष्य
ये बच्चे संगीत के क्षेत्र में अपना बेहतर भविष्य देख रहे हैं। इसी सपने को साकार करने के लिए इन्हें इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से संगीत की शिक्षा दिलायी जा रही है। मो. नासिर, डमरू राम, पंचम ¨सह, बलदेव कुमार, बबीता कुमारी, मोनादी हेम्ब्रम, रजनी कुमारी, संगीता कुमारी आदि को संगीत से गहरा लगाव है। इन बच्चों ने बताया कि वे संगीत के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं।
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कोट-
नेत्रहीन विद्यालय के बच्चों ने संगीत के क्षेत्र में अपनी रुचि और प्रतिभा दिखाई है। इस क्षेत्र में इनका बेहतर भविष्य है। इनमें से कई बच्चे इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से संगीत की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। कोई प्रथम, कोई द्वितीय तो कोई तृतीय वर्ष के विद्यार्थी है।
मुकेश प्रसाद, प्राचार्य, नेत्रहीन विद्यालय।